शायद आप जानते होंगे कि तमिलनाडु का कांचीपुरम दुनिया के सात सबसे पुराने शहरों में से एक है. वैसे तो इस शहर में कई मंदिर हैं, लेकिन यहां हम एक अनोखे मंदिर की बात कर रहे हैं. भगवान विष्णु जी का यह मंदिर लगभग एक हजार साल पहले बना था. मंदिर का नाम वरदराज पेरुमल मंदिर है. यहां पर भगवान विष्णु को देवराजस्वामी के रूप में पूजा जाता है. जानकारी के अनुसार, इस मंदिर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य हैं.
1. सन 1053 में चोलों ने इस वरदराज पेरुमल मंदिर को बनवाया है.
2. कुलोत्तुंग प्रथम और विक्रम चोल ने इस मंदिर का पुनरुद्धार करवाया था.
3. मंदिर में 100 खंभों वाला एक हॉल भी है। जिसे विजयनगर के राजाओं ने बनवाया था.
4. मंदिर परिसर में 9 फीट ऊंची भगवान विष्णुजी की सुंदर मूर्ति रखी हुई है.
तमिलनाडु में रहने वाले सभी लोग हर तरह की परंपराओं को विधि विधान से करते हैं. यहां एक गजब की परंपरा है जहां 40 साल तक मूर्ति पानी में रखी जाती है और उसके बाद भी यह मूर्ति खराब नहीं होती.
ब्रह्मा जी ने स्थापित की थी मूर्ति
मंदिर से जुड़े लोग जैसे पुजारी और मंदिर में सेवा कार्य करने वाले लोगों का कहना है कि कांचीपुरम ब्रह्मा जी के यज्ञ की भूमि है. उनके अनुसार, भगवान विष्णु जी की मूर्ति की स्थापना स्वयं ब्रह्मा जी ने ही की है. पुराणों में कांचीपुरम का नाम हस्तगिरी बताया गया है.
जानकारी के अनुसार ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु जी को प्रसन्न करने के लिए पृथ्वी पर तपस्या की थी तब जाकर विष्णु जी ने उन्हें दर्शन दिए थे. यज्ञ करने के दौरान और ब्रह्माजी के कहने पर विश्वकर्मा ने अंजीर की लकड़ियों से भगवान विष्णु की 9 फीट की प्रतिमा तैयार की थी. भगवान के इस रूप को “अत्ति वरदराज” कहा जाता है. जिन्हें तमिल नहीं आती उन्हें बताना चाहेंगे कि तमिल भाषा में अत्ति का अर्थ है- ‘अंजीर की लकड़ी’ और वरदराज का अर्थ है- ‘हर इच्छा का वरदान देने वाले’.
अद्भुत शिल्प कला: पत्थरों से बनी सांकल और 100 पिलर वाला हॉल
तमिलनाडु के इस मंदिर को उस समय के कारीगरों ने बहुत ही भव्य बनाया है. यह मंदिर लगभग 23 एकड़ के क्षेत्र में बना है जहां कुछ छोटे-छोटे मंदिर भी मौजूद हैं और दो सरोवर भी हैं. सौ पिलर वाला हॉल बहुत ही सुंदर है.