नालंदा और विक्रमशिला से भी पुराना है तेल्हारा विश्वविद्यालय

पुराने समय में हमारे देश में कई विश्वविद्यालय थे। उच्च शिक्षा के ये केंद्र देश के कई हिस्सों में मौजूद थे। ऐसे में जब देश के प्राचीन विश्वविद्यालयों की बात की जा रही हो तो तेल्हारा विश्वविद्यालय का जिक्र किए बिना नहीं रहा जा सकता। वैसे देखा जाए तो दुनिया के प्राचीन विश्वविद्यालयों में अब तक नालंदा यूनिवर्सिटी को माना जाता रहा है, लेकिन कुछ ही साल पहले बिहार के नालंदा जिले में की गई खुदाई में तेल्हारा विश्वविद्यालय के बहुत महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं। पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों द्वारा की पूरी पड़ताल और अवशेषों के आधार पर कहा जा सकता है कि तेल्हारा विश्वविद्यालय नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय से भी पुराना है।

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बिहार राज्य के नालंदा जिले के एक बड़े गांव तेल्हारा में सन् 2009 में प्रदेश सरकार के निर्देश पर खुदाई का काम शुरू किया गया था। यह कार्य सफल रहा, क्योंकि यहां विश्वविद्यालय होने के 100 से अधिक प्रमाण या साक्ष्य मिले हैं। बिहार के कला, संस्कृति विभाग ने खुदाई से प्राप्त अवशेषों और अन्य वस्तुओं के आधार पर इस बात को माना है कि तेल्हारा विश्वविद्यालय, नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय से भी पुराना है। पुरातत्वविदों की टीम को नालंदा जिले में चार बौद्ध मठों के जो प्रमाण मिले हैं वे टेराकोटा से बने हैं और उन पर पाली भाषा में लिखा है- श्री प्रथमशिवपुर महाविहारियाय बिक्षु संघ’ इससे विश्वविद्यालय के उस वक्त के अपने मूल नाम का संकेत मिलता है, लेकिन फिलहाल इसे तेल्हारा विश्वविद्यालय कहा जाता है।

इधर, पुरातत्वविदों ने तेल्हारा में अपने खुदाई अभियान में उस ईंट को भी खोज निकाला है, जिसे इस प्राचीन विश्वविद्यालय की नींव के रूप में इस्तेमाल किया गया था। इस ईंट का साइज लंबाई में 42, चौड़ाई में 32 और ऊंचाई में 6 सेंटीमीटर है। ईंट के इस आकार से पहली शताब्दी के कुषाण काल के प्रभाव का खुलासा होता है। इस बात के भी मजबूत प्रमाण हैं कि चौथी शताब्दी के नालंदा और छठी शताब्दी के विक्रमशिला विश्वविद्यालय से तेल्हारा विश्वविद्यालय प्राचीन है। चीनी यात्री ह्वेनसांग भी सातवीं शताब्दी में जब नालंदा विश्वविद्यालय पहुंचे थे, तो उन्होंने तेल्हारा का दौरा भी किया था। उन्होंने अपने एक यात्रा लेख में इसका जिक्र ‘तेलेत्का’ के रूप में किया है।

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जिस जगह यह स्थित है और खुदाई की गई है, वह एक बहुत बड़े टीले के रूप में था। बाद में इसकी खुदाई शुरू हुई तो कई रहस्य खुल कर सामने आए। वहां के लोगों के लिए तो यह जगह बहुत रहस्यमयी है, क्योंकि इसकी खुदाई के वक्त इसमें से कई हीरे- जवाहरात एवं सोने के सिक्के भी मिले हैं। इस खंडहर की बनावट भी बिल्कुल अलग है, इसके अंदर से कंकाल भी मिले हैं, जो इस खंडहर को और भी रहस्यमयी बना देता है। यह सही है कि तेल्हारा की खुदाई में पुराने विश्वविद्यालय होने के सबूत मिले हैं, लेकिन धीरे-धीरे कुछ और भी रहस्य खुलने की उम्मीद है, क्योंकि यहां खुदाई भले ही खत्म कर दी गई हो लेकिन पड़ताल और शोध अभी भी किए जा रहे हैं।