भगवान श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कल बुधवार को भूमि पूजन कर दिया है। अब अगला कदम मंदिर निर्माण की ओर बढ़ाना है। एक अरब रुपए से ज्यादा की लागत वाले इस मंदिर की कई विशेषताएं होंगी। इस मंदिर की भव्यता भगवान श्री राम के विशाल व्यक्तित्व की तरह होगी।
मर्यादा पुरुषोत्तम का मंदिर इतना विशाल होगा कि इसका शिखर कई किलोमीटर दूर से स्पष्ट नजर आएगा। मंदिर को भव्यता प्रदान करने के लिए इसमें एक और मंजिल जोड़ी गई है इस प्रकार यह तीन मंजिला होगा। एक मंडप और एक अतिरिक्त मंजिल के साथ 35 फुट ऊंचे शिखर का विस्तार करने का विचार है। इसके अलावा अब राम मंदिर में तीन के बजाय पांच गुंबद बनाए जाएंगे। राम मंदिर की ऊंचाई अब 141 फीट से बढ़ाकर 161 फीट की जाएगी। मंदिर में प्रमुख 5 द्वार सिंह द्वार, नृत्य मंडप, रंग मंडप, पूजा-कक्ष और गर्भगृह के होंगे। वैसे इसमें आवागमन के लिए मुख्य पांच द्वारों के अलाव कुल 24 द्वार बनाए जाएंगे।
इस मंदिर की लंबाई लगभग 270 मीटर और चौड़ाई 140 मीटर होगी। हर मंजिल पर लगभग 106 स्तंभ होंगे। पहली मंजिल पर स्तंभ की लम्बाई लगभग 16.5 फीट और दूसरी मंजिल पर 14.5 फीट रखने का प्रस्ताव है। प्रत्येक मंजिल 185 बीम पर टिकी होगी। इस भव्य मंदिर में भगवान रामलला की मूर्ति निचले तल पर विराजमान की जाएगी।
देवालय में वास्तु के हिसाब से लोहे का इस्तेमाल वर्जित है इसलिए मंदिर में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इसमें संगमरमर की चौखट और लकड़ी के दरवाजे लगाए जाएंगे। मंदिर के निर्माण में करीब 1.75 लाख घनफीट पत्थर की जरूरत बताई गई है। मंदिर के फर्श में संगमरमर लगाया जाएगा। यह मंदिर लगभग 221 स्तंभों पर खड़ा होगा। मंदिर के प्रत्येक स्तंभ पर विभिन्न देवी देवताओं की 12 मूर्तियां उकेरी गई हैं।
यह मंदिर नागर शैली में अष्टकोणीय बनेगा। इसमें भगवान राम की मूर्ति और राम दरबार होगा। मुख्य मंदिर के आगे-पीछे सीता, लक्ष्मण, भरत और भगवान गणेश के मंदिर होंगे। यह अक्षरधाम मंदिर की तरह बनेगा। मंदिर परिसर में संत निवास, शोध केंद्र, कर्मचारियों के आवास और भोजनशाला इत्यादि होंगे।
शिल्पी चंद्रकांत सोमपुरा ने 1987 में विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल के कहने पर राम मंदिर का मॉडल तैयार किया था। भारतीय वास्तु शास्त्र के अनुसार इस मंदिर का निर्माण किया जाएगा। इसकी परिक्रमा गोलाई में होगी। मंदिर बनाने के लिए पत्थरों की तराशने का काम करीब 60 प्रतिशत पूरा हो चुका है। पत्थरों को मंगाने और तराशने का कार्य सितंबर 1990 में शुरू किया गया था।
मंदिर निर्माण में लगभग 3 साल का समय लगेगा। अनुमान है कि 2024 तक मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा।