महाकाल का शहर जहाँ ज्योतिर्लिंग के साथ हैं 84 महादेव

हमारे देश की एक पहचान यहां की धार्मिकता है। इसी तरह यहां के शहरों की भी अपनी कुछ खूबियां हैं। इनमें अयोध्या, मथुरा, द्वारिका, काशी, कांची, हरिद्वार और उज्जैन को पवित्र माना गया है, जिन्हें सप्त पुरी कहा जाता है। इन सात पवित्र पुरियों में उज्जैन क्षिप्रा नदी के किनारे बसा है। यह एक अत्यंत प्राचीन धार्मिक शहर है, जिसका जिक्र कई शास्त्रों-पुराणों में मिलता है। उज्जैन के प्राचीन नाम अवंतिका, उज्जयिनी, कनकश्रंगा आदि हैं। भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल इसी नगरी में विराजित हैं। यही कारण है कि इसे महाकाल की नगरी भी कहा जाता है और यह नगरी युगों-युगों से अस्तित्व में है। यहां हर बारह वर्ष में सिंहस्थ महाकुंभ मेला लगता है।

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उज्जैन कभी महान सम्राट विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी रहा है। विक्रमादित्य गर्दभिल्ल वंश के सम्राट थे। उज्जैन को कालिदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यह मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर से 54.9 किलोमीटर की दूरी पर है।

प्राचीन भारत की समय- गणना का केंद्र बिंदु होने के कारण ही काल के आराध्य महाकाल हैं। उज्जैन का अक्षांश व सूर्य की परम कांति दोनों ही 24 अक्षांश पर मानी गई है। सूर्य के ठीक सामने होने की यह स्थिति संसार के किसी और नगर की नहीं है। कर्क रेखा भी यहीं से गुजरती है। देशांतर रेखा और कर्क रेखा यहीं एक -दूसरे को काटती हैं। जहां यह काटती हैं संभवत: वहीं महाकालेश्वर मंदिर स्थित है।

वराह पुराण में उज्जैन को नाभि देश और महाकालेश्वर को अधिष्ठाता कहा गया है। महाकाल की यह नगरी पूरी धरती का नाभिस्थल है। मंगल ग्रह की उत्पत्ति का स्थान भी उज्जयिनी को ही माना जाता है। यहां पर ऐतिहासिक नवग्रह मंदिर और वेधशाला की स्थापना से कालगणना का मध्य बिंदु होने के सबूत मिलते हैं।

उज्जैन की अन्य विशेषताओं को देखें तो यह एकमात्र स्थान है, जहां शक्तिपीठ है, ज्योतिर्लिंग है और कुंभ मेला लगता है। इसी प्रकार यहां साढ़े तीन काल विराजमान हैं- महाकाल, कालभैरव, गढ़कालिका और अर्धकालभैरव। यहां तीन गणेश चिंतामन, मंछामन और इच्छामन भी हैं। उज्जैन में 84 महादेव हैं और यहीं सात सागरों के नाम से अतिप्राचीन तालाब हैं। यहां भगवान कृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम और मंगल ग्रह की उत्पत्ति का स्थान भी है। यही वह शहर है जहां महाकवि कालिदास हुए।

उज्जैन दुनिया का एकमात्र स्थान है जहां अष्ट चिरंजीवियों का मंदिर है। इसे बाबा गुमानदेव हनुमान अष्ट चिरंजीवी मंदिर कहा जाता है। इसी तरह बाबा महाकाल के मंदिर परिसर में सप्त ऋषियों के भी मंदिर हैं। इसके श्मशान को भी तीर्थ का सम्मान प्राप्त है जो चक्र तीर्थ के नाम से जाना जाता है।

संभवत: ऐसे ही कारण होंगे कि महाभारत की एक कथा में उज्जैन को स्वर्ग कहा गया है। आज के संदर्भ में देखें तो मंदिरों के इस शहर में सभी देवताओं का वास होने से यह धरा स्वर्ग से कम भी नहीं है।