अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण के कार्य में काफी तेज़ी आ गई है. सभी काम तय समय के अनुसार ही हो रहे हैं. श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने जैसे ही अयोध्या विकास प्राधिकरण से नक्शा अप्रूव करवाया है, उसके बाद मंदिर निर्माण को लेकर गतिविधियां तेज हो गई हैं. श्रीराम मंदिर कितना भव्य बनने जा रहा है इसका अनुमान केवल इस बात से लगाया जा सकता है, कि दुनिया भर में सभी की निगाह इस निर्माण पर लगी हुई है. पूरी दुनिया में रहने वाले करोड़ों राम भक्त श्रीराम मंदिर के सम्पूर्ण होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. और इस भव्य परियोजना से आईआईटी चेन्नई और एलएंडटी के करीब दो सौ विशेषज्ञ जुड़े हुए हैं. रामघाट स्थित रामजन्मभूमि कार्यशाला में तराशी गई शिलाओं की नाप लेने का कार्य शुरू हो चुका है. अब ये शिलाएं मंदिर में यथा स्थान पर लगाईं जायेंगी. श्रीराम जन्मभूमि न्यास की कार्यशाला में 1990 से ही शिलाओं की तराशी की जा रही है. हालांकि पूर्व में प्रस्तावित मंदिर के आकार में वृद्धि से न्यास कार्यशाला को अब और भी अतिरिक्त प्रयास करने पड़ेंगे.
पहले श्रीराम मंदिर का जो नक्शा था, उसके माप के अनुसार 128 फीट ऊंचे, 268 फीट लंबे और 140 फीट चौड़े मंदिर निर्माण के हिसाब से आधे से अधिक पत्थरों की तराशी हो गई थी. पूर्व प्रस्तावित मंदिर में पौने दो लाख घन फीट पत्थर प्रयुक्त होना था और करीब एक लाख घन फीट शिलाओं की तराशी हो चुकी थी. यानी करीब दो तिहाई शिलाओं की तराशी हो चुकी थी लेकिन प्रस्तावित मंदिर के आकार में वृद्धि के बाद काफी कुछ बदल गया है. अब तैयारियों को भी उसी हिसाब से गति देनी होगी, जैसा नया नक्शा है. और शिलाओं के आकार में भी काफी बदलाव होंगे. लेकिन जिस तरह के कुशल इंजीनियर्स की टीम इस परियोजना पर कार्य कर रही है, उसके अनुसार अयोध्या में बनने वाला ये राम मंदिर दुनिया भर में अद्भुत और भव्य होगा.