1989 में रखी गई थी मंदिर निर्माण की पहली ईंट

अयोध्या में बनने जा रहे भव्य श्री राम मंदिर को लेकर सबके अलग-अलग अनुभव और भावनाएं जुड़ी हुई हैं। ऐसा ही अनुभव श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य श्री कामेश्वर चौपाल का है। श्री चौपाल को श्री राम मंदिर की पहली ईंट रखने का श्रेय जाता है। यह कार्य उन्होंने 9 नवंबर 1989 को किया था। इसके बाद अब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को जन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करने वाले हैं। इस प्रकार मंदिर निर्माण में श्री मोदी और श्री चौपाल का नाम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो जाएगा। वास्तव में श्री चौपाल ने मंदिर के सिंहद्वार निर्माण के लिए पहली ईंट रखी थी, वहीं अब प्रधानमंत्री श्री मोदी गर्भगृह स्थल पर शिलान्यास करेंगे।

वास्तव में श्री चौपाल बिहार के रहने वाले हैं और भगवान श्रीराम का नाता उनके प्रदेश से रहा है। श्रीराम की पत्नी माता सीता बिहार के सीतामढ़ी में जन्मी थीं, इस दृष्टि से भी तब से लेकर सीतामढ़ी और अयोध्या के रिश्ते काफी निकट के रहे हैं। श्री चौपाल बताते हैं, मेरी मां बचपन में एक गीत गाकर मुझे सुनाया करती थी, जिसके बोल थे- पहुना मिथिले में रहियौ। मैंने इस गीत पर अपनी मां से सवाल किया कि श्रीराम तो भगवान हैं तो फिर पहुना क्यों? मां का उत्तर था कि दुनिया के लिए श्रीराम भले ही भगवान हैं, लेकिन मिथिला के तो वे पाहुन ही हैं, क्योंकि सीताजी यहां की बेटी थीं। श्री चौपाल कहते हैं, बड़ों ने जो बचपन में संस्कार दिए थे, वही समर्पण के रूप में सदैव मेरे साथ रहे हैं। ऐसे तो श्रीराम इष्टदेव हैं और उधर, मिथिला से संबंध यानी हमारे तो दोनों संबंध मजबूत हैं।

जब अयोध्या में राममंदिर बनाने के लिए आंदोलन चल रहा था, तब श्री राम मंदिर के निर्माण के लिए बिहार से श्री कामेश्वर चौपाल भी ईंट लेकर अयोध्या पहुंचे थे। गौरतलब है कि राम मंदिर की नींव के लिए पहली ईंट रखने के साथ ही श्री चौपाल इतने मशहूर हो गए कि उन्हें दो बार बिहार विधान परिषद का सदस्य भी बनाया गया।

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श्री चौपाल बताते हैं कि जब उन्हें मंदिर निर्माण की पहली ईंट रखने को कहा गया मैं अभिभूत हो गया। कई बड़े साधु-संतों और नेताओं की उपस्थिति में मुझे यह ईंट स्थापित करने का अवसर मिला। इसके साथ ही मुझे श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का सदस्य भी बनाया गया। वे बताते हैं कि सन् 1989 को प्रयाग कुंभ के मेले में धर्म संसद की बैठक हुई थी, इसमें संतों ने 9 नवंबर 1989 को मंदिर के शिलान्यास की घोषणा कर दी थी। श्री चौपाल कहते हैं इसके बाद प्रथम ईंट रखने के लिए मेरा चयन किया गया तो मैं और मेरा परिवार धन्य हो गया। श्री चौपाल इस बात को लेकर खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं और कहते हैं कि यह अवसर प्राप्त करने के बाद मुझे ऐसा लगता है कि मोक्ष मिल गया है।