देश में मौजूद किले प्राचीन भारत की शान रहे हैं। इन्हीं में से एक है महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के महाड़ में स्थित किला। यह रायगढ़ के किले के नाम से ही प्रसिद्ध है। यह किला पश्चिम भारत का ऐतिहासिक क्षेत्र है। इसकी खास बात यह है कि इसका निर्माण छत्रपति शिवाजी ने करवाया था। इस किले को पहले नायरी नाम से जाना जाता था, जिसे शिवाजी ने बदल कर रायगढ़ कर दिया था। शिवाजी ने सन् 1674 में इसे अपनी राजधानी बनाया। उनका राज्याभिषेक भी इसी किले में हुआ था। मुंबई के ठीक दक्षिण में स्थित यह किला समुद्र तल से 1356 मीटर ऊंचा है।
वास्तव में यह कोंकण समुद्र तट के मैदानी हिस्से के पास है। इसका क्षेत्र लहरदार और आड़ी–तिरछी पहाड़ियों वाला है, जो सह्याद्रि पहाड़ियों की खड़ी ढाल वाले कगारों से अरब सागर के ऊंचे किनारों तक पहुंचता है।
छत्रपति शिवाजी महाराज ने रायगढ़ किले के निर्माण में कई विशेषताओं का ध्यान रखा है। उन्होंने इसके निर्माण के स्थान का चयन भी बहुत विवेकपूर्ण तरीके से किया है। यह एक बहुत शक्तिशाली दुर्ग है। कई आक्रमणों और कब्जों के बाद 5 जून 1733 में शाहूजी महाराज के नेतृत्व में मराठों ने फिर से रायगढ़ का किला हासिल किया। इसके बाद के सालों में रायगढ़ के किले पर अंग्रेजों ने सन् 1818 में कब्जा कर लिया था और किले को बहुत नुकसान पहुंचाया था। यहां से काफी दौलत भी लूटी थी। इस तरह रायगढ़ का किला मराठा संग्राम के साथ ही आजादी की लड़ाई का भी गवाह है। यहां छत्रपति शिवाजी के युद्ध कौशल के कई प्रमाण हैं।
अब यह किला महाराष्ट्र शासन के पुरातत्व विभाग के संरक्षण में एक स्मारक के रूप में है। यहां बड़ी संख्या में यात्री आते हैं। इस किले पर जाने के लिए पहले 1400 से 1450 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती थी, लेकिन अब इसके लिए रोपवे बना दिया गया है। किले में ठहरने की बहुत अच्छी सुविधा है। किले पर एक धर्मशाला है, जहां बड़ा हॉल और छोटे–बड़े कई कमरे हैं। यहां अधिकांश सुविधाएं मुफ्त हैं। रायगढ़ का किला शिवाजी महाराज के प्रति आस्था रखने वालों के लिए किसी मंदिर से कम नहीं है। यही कारण है कि यहां आने वालों में जबरदस्त उत्साह रहता है।