जीवन जीने का सिद्धांत हैं आचार्य चाणक्य के ये अमर वाक्य

(1). दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला के गुण हैं.

(2). ज्ञानी पुरुष भी उस समय दुखी हो जाता है जब वह किसी मूर्ख व्यक्ति का उपदेश सुनता है. इसलिए हमेशा उन्हीं लोगों की संगत में रहिए जो सकारात्मक नजरिया और व्यवहार रखते हों. नकारात्मक लोग आपको आपके लक्ष्य से दूर कर देते हैं इसलिए उनसे दूरी बनाकर रखिए.

(3). अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो. छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो. सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो. आपकी संतति ही आपकी सबसे अच्छी मित्र है.

(4). दूसरों की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने से तुम्हारी आयु कम पड़ेगी.

(5). किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए. सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं.

(6). यदि जीवन में सफलता प्राप्त करनी है तो सबसे पहले समय की कद्र करना सीखें. जो लोग समय के महत्व को समझते हैं, वो वर्तमान में जीते हैं और हर क्षण का सदुपयोग करते हैं. समय का कुछ पता नहीं होता, यदि आज आपके अनुकूल है, तो हो सकता है कल स्थितियां विपरीत हों. इसलिए आज के हर क्षण का सही प्रयोग करें ताकि भविष्य में आपको संकट से न जूझना पड़े.

(7). कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो…

मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ?

इसका क्या परिणाम होगा ?

क्या मैं सफल रहूँगा?

(8). भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये, इस पर हमला कर दो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो.

(9). काम का निष्पादन करो, परिणाम से मत डरो.

(10). सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है, पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है.

(11). ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अतः अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ.

(12). व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है, जन्म से नहीं.

(13). यदि आप जीवन में वाकई आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमेशा वाणी मधुर रखिए. जो लोग बुरी भाषा का प्रयोग करते हैं, उनका पतन बहुत जल्दी हो जाता है.

(14). अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक समान उपयोगी है.

(15). शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है. शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर है.