शीशम का पेड़ भारत के कई हिस्सों में पाया जाता है। मजबूत शीशम वृक्षों की प्रजाति का शीश होता है, शीशम की लकड़ी काफी मजबूत होती है। इसलिए इसकी लकड़ी का उपयोग आमतौर पर फर्नीचर बनाने में किया जाता है। शीशम में कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। इसकी लकड़ी और बीज से तेल निकलता है, जिससे कई तरह के रोगों का इलाज किया जाता है। आयुर्वेद में भी शीशम के कई फायदे बताए गए हैं। इसका वानस्पतिक नाम डलबर्जिया सिस्सू हैं।
शीशम के बीज शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। शीशम के बीज खाने से शरीर का पाचन तंत्र ठीक रहता है। कब्ज, पेट दर्द जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। शीशम के बीज में मौजूद पोषक तत्व हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। शीशम के बीज का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है। शरीर में खून के कमी होने पर शीशम के पत्तों से बने रस का सेवन करने से लाभ मिलता है। शीशम का सेवन करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसलिए सामान्य बुखार के इलाज में भी शीशम का उपयोग किया जाता है।
चोट या घाव होने पर शीशम के बीज का सेवन करने से आराम मिलता है। साथ ही इसके बीज का बना तेल लगाने से घाव जल्दी सूख जाता है। शीशम के पत्तों का रस पीने से पेट की जलन दूर होती है। हैजा के इलाज में भी शीशम के पत्तों का उपयोग किया जाता है। साथ ही सायटिका रोग के इलाज में भी शीशम फायदेमंद है। शीशम का तेल लगाने से खुजली ठीक होती है और त्वचा संबंधी अन्य बीमारियों से भी राहत मिलती है। आंखों से जुड़ी परेशानियां जैसे आंखे लाल होना, कम दिखाई देना संबंधी परेशानियों के इलाज में भी शीशम बहुत उपयोगी है। शीशम में मौजूद मैग्नीशियम तत्व से शरीर में ग्लूकोज की मात्रा ठीक रहती है।
इनके अलावा भी शीशम के अन्य कई फायदे हैं। हालांकि अधिक मात्रा में शीशम के बीज खाना आपको फायदे की जगह नुकसान में डाल सकता है, इसलिए इसकी मात्रा का ध्यान रखना भी जरूरी है। इसका सेवन करने से पहले एक बार चिकित्सक की सलाह जरूर ले।