अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन संपन्न हो चुका है. ये पुण्य नगरी भगवान श्रीराम की धरती, जहाँ बड़े बड़े राज राजेश्वरों का राज रहा. जिस धरती पर श्रीराम का जन्म हुआ. मानव अवतार में साक्षात ईश्वर ने जन्म लिया था. और वो सम्पूर्ण मानवजाति के लिए ऐसे आदर्श छोड़कर गए, जिन पर इंसान के जीवन का पूरा आधार होता है.
कहा जाता है, अयोध्या का मतलब होता है, जिसे हराया न जा सके, जिसे कोई जीत न सके. जिससे कोई युद्ध न कर सके, और अगर युद्ध हो भी जाये तो उसे पराजित करना असंभव है. जिस धरती का नाम ही विजेता है, वहां का साम्राज्य किस तरह का रहा होगा, ये कोई भी समझ सकता है.
श्रीराम भी जिस रघुकुल वंश में पैदा हुए, वो वंश एक से बढ़कर एक महान विजेताओं और योद्धाओं की सम्पूर्ण गाथा है. कहते हैं कि, एक समय अयोध्या नगरी की बनावट ऐसी थी कि, उससे युद्ध करना किसी के वश की बात नहीं थी, और अगर किसी ने ऐसा दुस्साहस किया भी तो अयोध्या पर विजय पाना किसी के लिए संभव नहीं था.
शास्त्रों में अयोध्या के विभिन्न नामों का वर्णन है. इसे इक्ष्वाकु भूमि, कोशल, अवध्या, रामपुरी, साकेतपुरी के नाम से भी जाना गया है. अयोध्या बड़े बड़े ज्ञानी और तपस्वियों की भी धरती रही है. आज उसी अयोध्या में श्रीराम के मंदिर के लिए निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुका है. दुनिया भर के सभी राम भक्तों को इस बात की बेहद ख़ुशी है कि, उनके प्रभु का भव्य मंदिर शीघ्र ही उनकी आँखों के सामने खड़ा होगा. अब अयोध्या का वही वैभव फिर से लौटेगा. ये नगर अपने इतिहास को पुन: दोहराएगा. और अयोध्या में राम राज आएगा. प्रभु राम के भक्त अपने भगवान की नगरी को देखने के लिए आयेंगे, और चले जायेंगे अतीत की उन यादों में जहाँ से उन्हें अयोध्या का वही वैभवशाली साम्राज्य दिखाई देगा, और श्रीराम की पुण्यभूमि पूरी दुनिया में भारत के राज राजेश्वारों के वैभव की पहचान बनेगी.