सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इस वर्ष 2 सितंबर 2020 से पितृ पक्ष प्रारंभ हो गया है और यह 17 सितंबर 2020 यानी पितृ विसर्जन तक रहेगा। पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं। श्राद्ध करने से पितृ तृप्त होते हैं। श्राद्ध करने के लिए बिहार में स्थित गया को सबसे पुण्यदायी माना गया है। मान्यता है कि यहां पर पिंडदान और तर्पण विधि करने से सात पीढ़ियों का उद्धार हो जाता है। हालांकि गया के अलावा एक स्थान और है जहां पर मातृ पक्ष का श्राद्ध किया जाता है।
हम बात कर रहे हैं गुजरात के पाटन जिले के सिद्धपुर में स्थित पवित्र बिंदु सरोवर की। यह हिंदू धर्म के पांच पवित्र सरोवरों में से एक है। यह एकमात्र ऐसा तीर्थ है जहां पर सिर्फ मातृश्राद्ध का प्रावधान है। मान्यता है कि भगवान कपिल मुनि ने अपनी माता के देवलोकगमन करने के बाद मोक्ष की प्राप्ति के लिए बिंदु सरोवर के तट पर विशेष अनुष्ठान किया था। इसके अलावा महान ऋषि भगवान परशुराम ने भी अपनी माता का श्राद्ध इसी स्थान पर किया था।
बिंदु सरोवर की उत्पत्ति को लेकर मान्यता है कि नौ कन्याओं के जन्म लेने के बाद भगवान विष्णु ने कपिल मुनि अवतार के रूप में माता देवहुति के गर्भ से जन्म लिया। कपिल मुनि के जन्म के बाद उनकी आंख से गिरे ख़ुशी के आंसू से बिंदु सरोवर बना है। एक बार जब कपिल मुनि के पिता ऋषि कर्दम तपस्या के लिए वन में चले गए तो उनकी माता देवहुति काफी दुखी हो गई। अपनी माता को दुखी देख कपिल मुनि ने उनका ध्यान भगवान विष्णु में केन्द्रित कर दिया। इसके बाद माता देवहुति भगवान विष्णु की स्तुति करते हुए देवलोकगमन कई गई। तब कपिल मुनि ने बिंदु सरोवर के तट पर उनकी मोक्ष प्राप्ति हेतु अनुष्ठान किया था। इस कारण ही इस स्थान को मातृ मोक्ष स्थल के रूप में जाना जाता है।
ऋग्वेद की ऋचाओं में भी बिंदु सरोवर का उल्लेख किया गया है। इसके अलावा रामायण और महाभारत में भी बिंदु सरोवर का वर्णन किया गया है।