एक मंदिर जिसे बनाने में लगा है सोना और बड़े बड़े पत्थर

ये भारतवर्ष है, इसे मंदिरों का देश कहा जाता है। यहाँ नगर नगर और गली गली मंदिर बने हुए हैं। और इस देश की ये संस्कृति आज से नहीं बल्कि सदियों से है। हज़ारों साल पहले भी यहाँ इसी तरह मंदिर थे, और हज़ारों साल बाद भी यहाँ मंदिर ऐसे ही रहेंगे। साक्षात ईश्वर ने इस धरती पर कई बार मानव रूप में जन्म लिया। भगवान विष्णु ने प्रभु श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण के रूप में मानव जन्म लिया, तो भगवान गौतम बुद्ध को भी विष्णु जी का अवतार माना जाता है। उनके मंदिर और मठ तो पूरी दुनिया में बने हुए हैं। लेकिन इस देश में भी उनके कुछ अद्भुत स्थान हैं। और इन्हीं स्थानों में से एक है, महाराष्ट्र के मुंबई में अरब सागर के किनारे गोराई बीच के पास बना हुआ ग्लोबल विपश्यना पगोडा केंद्र। यह पगोड़ा पूरी तरह से गुम्बदनुमा आकृति में तैयार किया गया है। खास बात ये है कि इस गुंबद में एक भी आधार स्तंभ नहीं है।

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इस मंदिर को बनाने के लिए बड़े पत्थरों और सोने का इस्तेमाल किया गया है। अपनी अनोखी बनावट के कारण इस मंदिर को विश्व रिकॉर्ड में जगह दी गई है। इस मंदिर में बनी गैलरी में आप बुद्ध के समय की और कई पेंटिंग देख सकते हैं। वैसे तो अद्भुत कलाकृतियों के दर्शन हम सबको आम तौर पर कई प्राचीन मंदिरों में देखने को मिलते हैं, लेकिन यहाँ की कलाकृतियाँ कुछ विशेष हैं।

इस पगोडा में बने हॉल में करीब 8000 लोग एकसाथ पूजा कर सकते हैं, जोकि 61300 वर्गफीट तक फैला है। इसकी गुंबदनुमा छत 325 फीट ऊंची है और यहीं पर बुद्ध के अवशेष रखे हुए हैं। इस स्थान पर भगवान् बुद्ध की लंबी प्रतिमा भी बनी हुई है, जिसका निर्माण 8 सालों में पूरा हुआ, यानि वर्ष 2000 में इसे बनाने का कार्य प्रारंभ हुआ था, जो 2008 में संपन्न हुआ।

इस मंदिर के शिखर को बड़े क्रिस्टल के साथ सजाया गया है। यहां के शिखर पर ही असली सोने का काम किया गया है, बाकी जगहों पर सिर्फ सोने का पानी चढ़ा या गया है।

यहां एक मेडिटेशन हॉल और म्यूजियम भी है। म्यूजियम में भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़ी चीजों को दर्शया गया है। इस स्थान पर बोधी वृक्ष की शाखा से तैयार किए गए पीपल के पेड़ को 2014 में लगाया गया था। बोध गया से लाए गए बोधिवृक्ष की शाखाएं इस जगह को आध्यात्मिक रूप से और भी मजबूत करती है।