सही समय पर वीरता का गुण होता हर गुण से बड़ा

मनुष्य की पहचान उसके रूप से नहीं बल्कि उसके गुणों से होती है। अच्छा रूप सदैव मनुष्य के साथ नहीं रहता, लेकिन अच्छे गुण जीवनभर मनुष्य का साथ निभाते हैं। समाज में भी अच्छे गुणों वाले व्यक्ति को सदैव आदर-सम्मान मिलता है। जिस तरह कौवा और कोयल दोनों देखने में एक जैसे लगते हैं, लेकिन कोयल को उसकी मीठी वाणी के लिए सभी पसंद करते हैं। इसलिए हमें बाहरी सुंदरता की बजाय अपने अंदर अच्छे गुणों को विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए। इस विचार को हम भगवान गौतम बुद्ध द्वारा कही गई जातक कथा के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं।

जातक कथा है कि किसी समय कुश नाम का एक राजकुमार हुआ करता था। कुश बहुत ही विवेकशील, बुद्धिमान और पराक्रमी राजकुमार था। वह अकेले ही कई योद्धाओं को एक साथ हरा देता था। इन सब गुणों के बाद भी कोई भी राजकुमारी कुश से विवाह नहीं करना चाहती थी क्योंकि वह बहुत कुरूप था। राजकुमारियां उसे देखकर ही विवाह से इंकार कर देती थी। ऐसे में कुश की मां रानी शीलवती ने अपने बेटे की शादी कराने के लिए एक उपाय सोचा। शीलवती ने सागल देश की राजकुमारी प्रभावती से अपने बेटे के विवाह के लिए प्रस्ताव भेजा। साथ ही यह भी कहा कि हमारे परिवार की परम्परा है कि कुश और प्रभावती तब तक एक-दूसरे को प्रकाश में नहीं देख सकेंगे जब तक प्रभावती मां नहीं बन जाती। प्रभावती व उसके माता-पिता ने शीलवती का प्रस्ताव मान लिया और इस तरह कुश व प्रभावती का विवाह हो गया।

विवाह के पश्चात कुश के मन में अपनी पत्नी का चेहरा देखने की इच्छा हुई। एक दिन जब प्रभावती नहाने के लिए जलाशय में जा रही थी तब कुश भी पीछे-पीछे चला गया और प्रभावती का हाथ पकड़ लिया। किसी अनजान व्यक्ति द्वारा हाथ पकड़ने से प्रभावती नाराज होने लगी तो कुश ने अपना परिचय देते हुए प्रभावती को बताया कि वह उसका पति है। अपने पति का इतना कुरूप चेहरा देखकर प्रभावती के होश उड़ गए और वह दुखी होकर वापस सागल देश लौट गई। उधर कुश भी अपनी पत्नी को मनाने के लिए सागल पहुंच गया और राजा के रसोइये के रूप में काम करने लगा।

एक दिन आठ देशों के राजाओं ने योजना बनाकर एक साथ सागल पर आक्रमण कर दिया। इससे सागल के राजा यानी कुश के ससुर चिंता में पड़ गए। कुश को जब इस बारे में पता चला तो वह तुरंत अपने ससुर के पास पहुंचा और सागल को बचाने के लिए आठ राजाओं से युद्ध करने की इजाजत मांगी। राजा से इजाजत लेने के बाद कुश ने आठ राजाओं से युद्ध किया और सभी को परास्त करके सागल देश की रक्षा की।

सागल देश के राजा कुश की वीरता व पत्नी के प्यार के लिए किए गए संघर्ष से अत्यधिक प्रभावित हुए और अपनी बेटी प्रभावती की गलती पर उसे फटकार भी लगाई। वहीं प्रभावती को भी अपनी गलती का अहसास हुआ और वह ख़ुशी-ख़ुशी कुश के साथ वापस लौट गई।