एक सज्जन 60 वर्ष की आयु में सेवा से निवृत्त हुए मतलब रिटायर हुए। बहुत प्रसन्नता भरे वातावरण में उनको ऑफिस की ओर से सब लोगों ने भावभीनी विदाई और बहुत शुभकामनाएं दी। परंतु घर आकर वे सज्जन उदास हो गए। कुछ देर में उनके एक मित्र उनसे मिलने आए। मित्र ने उनके चेहरे से भाँप लिया, कि वे सज्जन कुछ तनाव में लग रहे हैं। उस मित्र ने बड़े प्रेम से पूछा, कि “क्यों भाई! आज तो बहुत आनंदमय वातावरण में आपको विदाई और बहुत शुभकामनाएं दी गई हैं। फिर आप कुछ उदास से क्यों दिख रहे हो?” रिटायर्ड होने वाले सज्जन ने कहा, “मैं सोच रहा हूं, कि अब रिटायरमेंट के बाद क्या करूंगा? धन कहां से आएगा? बस यही चिंता थी.”
जबकि वे सज्जन एक ऊंचे पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। बहुत सारा Provident fund मिलेगा। ग्रैच्युटी मिलेगी। बहुत सा धन उन्होंने जमा भी कर रखा है, और मासिक पेंशन भी मिलेगी। इतना होने के बाद भी वे तनाव में हैं! जरा सोचिए, क्या सिर्फ पैसे कमाने के लिए ही व्यक्ति संसार में आया था? या कुछ और भी उद्देश्य है जीवन का?
पढ़ाई कर ली, डिग्री प्राप्त कर ली, नौकरी व्यापार कर लिया, धन कमा लिया, खा लिया, पी लिया बूढ़े हो गए, कुछ दिनों में संसार छोड़ के चले जाएंगे, बस इतना ही जीवन है? नहीं। मरने के बाद फिर अगला जन्म होगा। और अगले जन्म में फिर से स्कूल जाना पड़ेगा।
वेदादि शास्त्रों के अनुसार तो मनुष्य जीवन का लक्ष्य है, “वेदों को पढ़कर के, अच्छे काम करके, ईश्वर भक्ति उपासना करके, समाधि लगाकर, अपनी अविद्या का नाश कर के इस जन्म मरण चक्र से छूटना। जो व्यक्ति इस काम में कोई विचार चिंतन मनन पुरुषार्थ नहीं करता, तो उसने मनुष्य बनकर भी क्या कमाया? कुछ नहीं।
जीवन की असली कमाई आपकी उपलब्धियां हैं, और वहीँ से आत्मसंतुष्टि आती है, जिसने ये समझ लिया उसका जीवन सार्थक है।