चित्रकूट ही ऐसा स्थान है, जहां भगवान राम ने अपने वनवास के समय में सबसे ज्यादा समय बिताया। 14 साल के वनवास में से साढ़े ग्यारह साल तक वे अपनी पत्नी और भाई लक्ष्मण के साथ यहीं रहे। आज के मध्यप्रदेश के सतना जिले में आने वाले चित्रकूट भगवान श्रीराम के चरण पड़ते ही तीर्थ हो गया। यहां भगवान श्रीराम के आगमन और ठहरने की कई निशानियां मौजूद हैं।
चित्रकूट आने की भगवान राम की निशानी में मंदाकिनी नदी के किनारे बना राम घाट भी है, जहां प्रभु राम स्नान करते थे। इसी घाट पर राम- भरत मिलाप मंदिर भी है। इसी तरह पहाड़ी के शिखर पर हनुमान धारा नाम की जगह है, वहां हनुमानजी की एक बड़ी मूर्ति है। मूर्ति के सामने तालाब में झरने से पानी गिरता है। यह धारा भगवान श्रीराम ने लंका दहन करके आए हनुमानजी के आराम के लिए बनवाई थी। इसी पहाड़ी के शिखर पर ‘सीता रसोई’ नाम का स्थान है। नाम से ही पता चल जाता है कि यहां सीताजी अपने पति श्रीराम और देवर लक्ष्मणजी के लिए भोजन पकाती थीं। इस पहाड़ी की ऊंचाई से चित्रकूट का बहुत सुंदर नजारा दिखाई देता है।
यहां भरत कूप भी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि चित्रकूट में ही ठहरे भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के लिए भरत पवित्र नदियों का जल लाए थे। अत्रि मुनि के परामर्श पर भरत ने सभी पवित्र नदियों का जल इकट्ठा कर एक कुएं में रख दिया था। यह कुआं आज भी है और इसे भरत कूप के नाम से जाना जाता है। भगवान राम 14 वर्ष वन में रहना तय कर चुके थे, इसलिए भरत केवल अपने साथ भगवान राम की खड़ाऊ लेकर अयोध्या लौट गए थे।
चित्रकूट में ही जानकी कुंड भी है, जहां माता सीता स्नान करती थीं। इस कुंड से कुछ दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनारे ही एक शिला है। इस शिला पर राम और सीता बैठकर चित्रकूट की सुंदरता निहारते थे। कहा जाता है कि जब वह इस शिला पर बैठी थीं तो जयंत ने कौए का रूप धारण कर उनके चरणों में चोंच मारी थी। । इस शिला पर सीताजी के चरणों के निशान बने हुए हैं।
चारों तरफ से विंध्य पर्वत और जंगल से घिरे चित्रकूट में ऋषि अत्रि और माता सती अनुसूइया ने तप-साधना की थी। यहीं पर तीन देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने सती अनुसूइया के घर जन्म लिया था। यहीं मौजूद कामदगिरि पर्वत की 5 किलोमीटर की परिक्रमा कर लोग अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की आशा रखते हैं। जंगलों से घिरे इस पर्वत की तलहटी में कई मंदिर बने हुए हैं। चित्रकूट का लोकप्रिय कामतानाथ मंदिर भी यहीं पर है।
चित्रकूट मंदाकिनी नदी के किनारे पर बसा है और यह नगर दो प्रदेशों उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में 38.2 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है। शांत और सुंदर चित्रकूट सैलानियों और श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी ओर खींचता है। इस प्रकार चित्रकूट की तस्वीर भगवान राम के हर भक्त के हृदय में स्थान रखती है। यहां आकर ऐसा लगता है जैसे भगवान श्रीराम, सीताजी और लक्ष्मणजी यहीं कहीं हैं।