धरती और पाताल मिलाकर दुनिया में हैं 84 लाख स्वयंभू शिवलिंग..(महाशिवरात्रि पर विशेष)

वो तीनों लोक के स्वामी हैं. शान्त ऐसे कि सम्पूर्ण सृष्टि उनके हृदय में बसती है. और क्रोध ऐसा कि, समस्त ब्रहमांड का विनाश हो जाए. लेकिन जब भी तीनों लोक में कोई बड़ी विपदा आई, तो सबसे पहले आकर उन्होंने उसे अपने ऊपर ले लिया. वो कालों के काल हैं, वो महाकाल हैं. शिव, रूद्र, महादेव, भोलेनाथ उनके कितने ही नाम हैं. वो महान हैं. हम सबके आराध्य हैं. हमारे भगवान हैं.

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आज महाशिवरात्रि है. भगवान भोलेनाथ का दिन..एक ऐसा दिन शिवजी के भक्त जिसकी प्रतीक्षा पूरी साल करते हैं. वैसे तो हर दिन ईश्वर का ही होता है. कुछ दिन विशेष होते हैं. जो समर्पित होते हैं, सनातन धर्म के अलग अलग आराध्य को, जैसे महाशिवरात्रि का दिन भगवन भोलेनाथ को समर्पित होता है. आज के दिन सुबह से लेकर देर रात तक शिवजी के मंदिरों में जगह जगह भक्त शिवलिंग पर जल और दूध अर्पित करते हैं. हर शिवलिंग में स्वयं भोलेनाथ बसते हैं.

आज कुछ ऐसे शिवलिंगों के के बारे में बात करेंगे जो अद्भुत हैं. इस दुनिया में 35 हजार ऐसे रहस्यमयी शिवलिंग है जिसके बारे में जानकारी लोगों को बहुत कम है.

तिरुपति बालाजी का नाम हम सब जानते हैं. सनातन धर्म का महानतम स्थल है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महादेव की अर्धांगिनी हिमालय पुत्री माँ पार्वती का जन्म इसी मंदिर परिसर में हुआ था.

दक्षिण भारत के 5 शिवालय ऐसे हैं, जो पंचतत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं. जो इस प्रकार हैं.

पहला-वायु तत्व शिवलिंग-श्री काल हस्ती

दूसरा-जम्बुकेश्वर का जल तत्व शिवलिंग

तीसरा-एकाम्बरेश्वर शिवालय, पृथ्वीतत्व शिवलिंग

चौथा-चिदम्बरम का नटराज मन्दिर आकाशतत्व शिवलिंग है और

पांचवा अग्नितत्व शिवलिंग तिरुणामलय में अरुणाचलेश्वरा शिवालय!

इसके अलावा नवग्रह के 9 शिवालय तथा 27 नक्षत्रों के 37 स्वयम्भू शिवलिंग भी दक्षिण भरत की इसी धरती पर हैं, जो सभी कुम्भकोणम दक्षिण में सयम्भू रूप में स्थापित हैं. स्कंदपुराण के अनुसार धरती और पाताल मिलाकर दुनिया में 84 लाख स्वयंभू शिवलिंग हैं.

इसके साथ ही इस धरती पर बड़ी संख्या में ऐसे शिवलिग हैं, जिनको साक्षात शिव का स्वरुप कहा जाता है.