ये है बाली और सुग्रीव के जन्म की अद्भुत कहानी

रामायण में ऐसे कई प्रसंग हैं, जिनमें भगवान राम का वनवास के दौरान अपने भक्तों से मिलन होता है। ऐसा ही एक प्रसंग है भगवान श्रीराम का उनके परम भक्त हनुमान व वान राज सुग्रीव से मिलन। वे श्रीराम ही थे जो सुग्रीव को अपने बड़े भाई के प्रकोप से न केवल बचा सकते थे, बल्कि बाली का अंत करके सुग्रीव को छिना हुआ राज्य वापस दिलवा सकते थे, जो कि उन्होंने किया। ज्यादातर लोगों को यह कहानी तो पता है, लेकिन कम ही लोग होंगे जिन्हें यह पता होगा, कि बाली और सुग्रीव के पिता कौन थे?

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शक्तिशाली वानर राज बाली के पिता देवराज इन्द्र थे तो सुग्रीव के पिता सूर्य देव लेकिन इन दोनों की माता एक ही थीं, जो पहले एक नर वानर थीं।

आपको जानकर आश्चर्य होगा, कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बाली और सुग्रीव की माता एक नर वानर थे, जिनका नाम ऋक्षराज था। वे एक तालाब में स्नान करने के कारण स्त्री बन गईं। इस तालाब को शाप था कि जो भी नर इसमें स्नान करेगा वह सुंदर स्त्री का रूप धारण कर लेगा। मान्यता है, कि ऋक्षराज बहुत ही उद्दंड वानर थे और ऋष्यमूक पर्वत पर रहा करते थे।

तालाब में स्नान करने के बाद जब वे सुंदर स्त्री में बदल गए तो बहुत अहसज हो गए। वो समझ ही नहीं पा रहे थे कि उन्हें क्या हो गया है। माना जाता है, कि इसी बीच देवराज इंद्र की उन पर दृष्टि पड़ गई, देवराज उनकी सुंदरता पर मोहित हो गए। देवराज इंद्र और ऋक्षराज से जो पुत्र उत्पन्न हुए वे बाली कहलाए।

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देवराज की ही तरह सूर्य देव भी ऋक्षराज की सुंदरता से मोहित हुए बिना नहीं रह पाए। सूर्य देव और ऋक्षराज के मिलन से जो पुत्र हुए वो सुग्रीव कहलाए। अपने दोनों पुत्रों का पालन पोषण ऋक्षराज ने ऋष्यमूक पर्वत पर ही किया था। धार्मिक मान्यता यह भी है, कि बालों पर तेज पड़ने के कारण देवराज इंद्र से उत्पन्न पुत्र का नाम बाली पड़ा वहीं ग्रीवा पर तेज पड़ने के कारण सूर्य देव से उत्पन्न पुत्र का नाम सुग्रीव पड़ा।