जीवन में खुश रहने का सबसे अच्छा तरीका है परिवार को खुश रखना. अगर आपका परिवार खुश है तो आप खुश रहेंगे. अपने परिवार के सभी सदस्यों की बातों को सुनें, समझें और फिर किसी निर्णय पर पहुंचें. अर्थात सभी को तवज्जों दें. ऐसा करने से आपकी इज्ज़त परिवार में और बढ़ जाएगी.
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आज आपको महाभारत से जुड़ी एक कहानी बताते हैं…
आपको यह तो जानकारी होगी कि दुर्योधन के चलते 5 पांडवों को वन में जाना पड़ा था. देखा जाए तो पांडवों के साथ यह गलत हुआ था, इसके बावजूद युधिष्ठिर ने भीम और अर्जुन को दुर्योधन की मदद करने के लिए कहा. बात ज़रा ऐसी है कि जब पांडव वन में थे तब कौरवों के सैनिक उनके पास आए और उनसे उनके युवराज यानी दुर्योधन की मदद करने के लिए कहा. सैनिकों ने बताया कि गंधर्व राजा ने दुर्योधन को बंदी बना लिया है. और कर्ण मैदान से भाग गए हैं. ऐसे में अब आप ही हमारी मदद कर सकते हैं.
इस बात को सुनकर भीम और अर्जुन बहुत खुश हुए. और कहा कि अच्छा हुआ जिसकी वजह से वनवास काटना पड़ रहा है, आज उसे गंधर्व राजा ने बंदी बना लिया है. फिर युधिष्ठिर ने भीम और अर्जुन को आदेश दिया और कहा कि जाओ दुर्योधन को कैद से छुड़ाकर लाओ.
युधिष्ठिर की इस बात को सुनकर भीम व अर्जुन ने कहा कि भैया दुर्योधन हमारा शत्रु है. वो हमारे लिए हमेशा दिक्कतें पैदा करता रहता है. हमें मारने के लिए षड़यंत्र रचता रहता है, और आप उसकी मदद करना चाहते हैं.
इस पर युधिष्ठिर ने कहा कि हम 5 भाई हैं और वे 100 भाई हैं. हमारा एक ही कुटुंब है. हमारे परिवार में मतभेद है, वो बात ठीक है, लेकिन अगर हमारी शत्रुता किसी बाहर वाले से है तो हम 105 भाई हैं. अपनापन ही परिवार का धर्म है. इसलिए हमें दुर्योधन की मदद करनी चाहिए.’
अर्जुन और भीम ने युधिष्ठिर की बातों का पालन किया और दुर्योधन को गंधर्वों से युद्ध कर के छुड़ा लिया.
इस काहनी से यह सीख मिलती है…
आपसी मतभेद ठीक है तो बैठकर सुलझा लें. यदि बाहर को लोगों से मुकाबला हो तो परिवार को एकजुट होकर परिस्थिति का सामना करना चाहिए. आप स्वयं देखेंगे कि बहुत कम समय में विपरीत परिस्थिति का हल निकल जाएगा.