अच्छे कर्म मनुष्य को सफलता के मार्ग पर ले जाते हैं. जीवन का हर दिन एक चुनौती होता है, नई सुबह, नया दिन नई उम्मीद और नई चुनौती. उदाहरण कुछ इस तरह से हो सकता है, जब भगवान श्रीराम जनकपुर में विवाह करके माता सीता के साथ वापस लौटे तो अयोध्या में उनके राज्याभिषेक की तैयारियां होने लगीं. लेकिन उसके बीच में एक रात और एक नई सुबह थी, जो प्रभु राम के सामने बहुत बड़ी चुनौती लेकर आने वाली थी. और केवल श्रीराम नहीं बल्कि पूरे राज परिवार के लिए नई चुनौतियां आने वाली थीं. और उसके बाद श्रीराम वनवास चले गए, पर सत्कर्म की राह पर वो सदैव चलते रहे. धरती पर जन्म लेकर इंसान अपने जीवन यापन के लिए बहुत कुछ सीखता है और करता है.
पूरा जीवन एक यात्रा की तरह होता है, जहाँ जहाँ इंसान जाता है, वहां से उसकी यादें, उसके किये कार्य, बहुत कुछ जुड़ जाता है. सभी इस यात्रा को तय करते हैं, बस सबके तरीके भिन्न होते हैं. कोई छोटी छोटी परिस्थिति से डरकर हार जाता है, तो कोई बड़ी से बड़ी परेशानी को आसानी से पार कर जाता है. सुख और दुःख का ये आभास भी क्षणिक होता है. कोई भी किसी घटना पर बहुत लम्बे समय तक एक जैसा नहीं रह सकता. क्योंकि हर समय आगे बढ़ना ही होता है. हर घटना जितनी देर तक नई होती होती है, नई घटना घटित होने के बाद वो उतनी ही पुरानी हो जाती है. क्योंकि निरंतरता को रोका नहीं जा सकता, वही तो गति है. और उसी गति में हर आने वाली घटना का आना तय होता है.
श्रीराम ने अपने पूरे जीवन में जो भी कार्य किये, अगर इंसान उन पर चलने का थोड़ा सा भी प्रयास करे, तो सारी चीजें सहजता से समाप्त हो जायेंगी. मुश्किल घड़ी में प्रभु राम का नाम भी काफी होता है, वही नाम हमें हर मुसीबत से बाहर निकलने का रास्ता दिखा देता है.
श्रीराम के दिखाए हुए आदर्श हर कदम पर हम सबका मार्गदर्शन करते हैं.अगर इंसान ये सोचकर जिए कि, उसे अपनी जीवन यात्रा में कुछ ऐसा करके जाना है, जो आगे आने वाली पीढ़ी का भी मार्गदर्शन करे, बस इसी सोच से इंसान स्वार्थ, लालच, बुराई, क्रोध, अहंकार और अज्ञानता के अन्धकार से बाहर निकल जाता है.