धार्मिक ग्रंथों में बताए ये‌ पांच नियम अपना लिए तो बदल सकता है पूरा जीवन

सनातन धर्म का इतिहास और संस्कृति काफी समृद्ध व वैभवशाली रही है। हमारे धार्मिक ग्रंथों में सिर्फ भगवान और उनसे जुड़े प्रंसगों का ही नहीं बल्कि जीवन जीने के नियमों का भी विस्तार से वर्णन किया गया है। इन नियमों से हमें पता चलता है कि धर्म और सत्य के मार्ग पर चलते हुए हम जीवन में कैसे सफलता हासिल कर सकते हैं। हजारों सालों पहले हमारे ऋषियों और महात्माओं द्वारा बताए गए यह नियम आज भी उतने ही प्रासंगिक है। आज हम कुछ ऐसे ही नियमों के बारे में बात करेंगे जिनका पालन करके हम अपने जीवन को बेहतर रास्ते पर ले जा सकते हैं।
धर्म का पालन करे

धर्म और धर्म ग्रंथ हमारी बहुमूल्य संपदा है। इसलिए हमें सदैव धर्म का पालन करना चाहिए। रोजाना थोड़ा समय ईश्वर की भक्ति में लगाना चाहिए। धर्म ग्रंथ में कही गई बातों का आचरण करना चाहिए। हमें कभी भी किसी धर्म का अपमान नहीं करना चाहिए। ऐसा करने वाला व्यक्ति समाज में घृणा का पात्र बनता है।

आलस्य ना करे
आलस्य को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु भी कहा जाता है। जो व्यक्ति आलस्य करता है वह जीवन में कभी भी सफल नहीं हो पाता है। इसलिए हमें कभी भी आलस्य नहीं करना चाहिए। हर कार्य समय पर पूरा करना चाहिए। समय पर कार्य पूरा नहीं करने वाले व्यक्ति को भविष्य में पछताना पड़ता है।

भोजन का अपमान ना करे
सनातन धर्म में भोजन को भगवान का दर्जा दिया गया है। इसलिए भोजन का अपमान करने का मतलब है स्वयं भगवान का अपमान करना। हमें भोजन पसंद हो या नहीं हो, लेकिन कभी भी उसका अपमान नहीं करना चाहिए। भोजन का अपमान करने वाला व्यक्ति सदैव दुःख का भागी बनता है।

अच्छी संगत रखें
हमारे साथ रहने वाले लोगों का प्रभाव हमारे व्यक्तित्व पर अवश्य पड़ता है। इसलिए हमारी संगत सदैव अच्छी होना चाहिए। हमें बुरे लोगों से दूरी बनाए रखना चाहिए। बुरी संगत हमारी सफलता के मार्ग को अवरुद्ध कर देती है।

अंधविश्वास से बचें
संबंधों की इमारत हमेशा विश्वास की बुनियाद पर टिकी हुई होती है। इसलिए किसी पर विश्वास करना अच्छी बात हैं, लेकिन हमें किसी पर अंधविश्वास यानी आंख बंद करके विश्वास करने से बचना चाहिए। किसी पर भी हद से ज्यादा विश्वास करना