हमारे धर्म में अलग-अलग भगवान की अराधना करने के लिए मंत्र व स्त्रोत उपलब्ध हैं। इन मंत्रों और स्त्रोतों के अलावा अलग-अलग युगों में लिखे गए रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथ भी हैं, जिन्हें पढ़कर जीवन को सुंदर व सुगम बनाया जा सकता है। हालाँकि ज्यादातर लोग रामायण महाग्रंथ की कठिन की भाषा की वजह से चाहकर भी ऐसा नहीं कर पाते हैं। धार्मिक मान्यता है, कि रामायण का पाठ करने वाले लोगों के जीवन में सुख-शांति, और पुण्य की प्राप्ति होती है।
लेकिन ऐसे लोग जिन्हें रामायण पाठ का लाभ लेना है, लेकिन वे किसी कारण से उसे नहीं पढ़ पाते हैं, उनके लिए एक ऐसा मंत्र है, जिसे पढ़कर पूरी रामायण पाठ का लाभ लिया जा सकता है। इसी के अनुसार इस मंत्र को श्लोकी रामायण कहा जाता है। माना जाता है, कि इस एक श्लोक में पूरी रामायण का सार छिपा हुआ है, और यहाँ तक कहा जाता है, कि इस श्लोक के जाप से पूरी रामायण पढ़ने के बराबर का पुण्य मिलता है। यह श्लोक है:-
आदि राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्. वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्. पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।।
माना जाता है, कि रामायण श्लोकी का जाप सुबह स्नान करने के बाद भगवान श्रीराम की मूर्ति के सामने बैठकर 11, 21 या 108 बार करना चाहिए। रामायण श्लोकी का जाप करने से बड़ी से बड़ी परेशानी से मुक्ति मिलती है।
रामायण श्लोकी का अर्थ
आदि राम तपोवनादि गमनं का अर्थ है, भगवान राम वनवास को गए, हत्वा मृगं कांचनम् का मतलब है, वहाँ उन्होंने एक हिरन का अंत किया।
इसी तरह वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम् का अर्थ है, रावण ने सीता का हरण करने के दौरान जटायु ने माता सीता को रावण से बचाने के लिए अपनी जान गँवाई। भगवान राम और सुग्रीव की मित्रता हुई।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम् यानी भगवान राम ने बाली का अंत करके सुग्रीव की सहायता से समुद्र पार किया, तब राम भक्त हनुमान ने लंका में आग लगाई।
पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम् का अर्थ है, भगवान राम के हाथों कुम्भकर्ण और रावण का अंत हुआ। इस प्रकार इस छोटे से श्लोक में पूरी रामायण का सार मिलता है।