1528: अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थल पर मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया| माना जाता है कि, मुग़ल सम्राट बाबर ने ये मस्जिद बनवाई थी इसीलिए इसका नाम बाबरी मस्जिद था.
1859: ब्रिटिश सरकार ने विवादित भूमि के आंतरिक और बाहरी परिसर में मुस्लिमों और हिदुओं को अलग-अलग प्रार्थनाओं की इजाजत दे दी.
1885: मामला पहली बार अदालत में पहुंचा। महंत रघुबर दास ने फैजाबाद अदालत में बाबरी मस्जिद से लगे एक राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर की.
23 दिसंबर, 1949: हिंदू नियमित रूप से मंदिर के भीतर श्रीराम की पूजा करने लगे.ImageSource
5 दिसंबर, 1950: महंत परमहंस रामचंद्र दास ने मंदिर में हिन्दुओं के लिए पूजा पाठ जारी रखने और बाबरी मस्जिद में राममूर्ति को रखने के लिए मुकदमा दायर किया। मस्जिद को ‘ढांचा’ नाम दिया गया.
18 दिसंबर, 1961: उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया.
1984: विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने बाबरी मस्जिद के ताले खोलने और राम जन्मस्थान को स्वतंत्र कराने व एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया, और इसके लिए एक समिति का गठन किया गया.
1 फरवरी, 1986: फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल के ताले खोलने का आदेश जारी करके हिदुओं को पूजा की इजाजत दी, जिसके विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया गया.
जून 1989: भाजपा ने विश्व हिन्दू परिषद को औपचारिक समर्थन देकर श्रीराम मंदिर निर्माण आंदोलन को और तेज़ कर दिया.
1 जुलाई, 1989: भगवान रामलला विराजमान के नाम से कोर्ट में पांचवा मुकदमा दाखिल किया गया.
25 सितंबर, 1990: बीजेपी अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से लेकर उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली.
अक्टूबर 1990: अयोध्या में दो बार निहत्थे कार सेवकों पर पुलिस द्वारा गोलियां चलायीं गई, जिसमे करीब डेढ़ दर्जन कारसेवक शहीद हो गए, इस घटना से पूरे देश के जनमानस में आक्रोश भड़क गया.
अक्टूबर 1991: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सरकार द्वारा बाबरी मस्जिद के आस-पास की 2.77 एकड़ भूमि को अपने अधिकार में लिया गया.
6 दिसंबर, 1992: हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद को ढहा दिया, और एक अस्थाई राम मंदिर बनाया गया। प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने मस्जिद के पुनर्निर्माण का वादा किया.
16 दिसंबर, 1992: मस्जिद ढहाने की जिम्मेदारी की जांच के लिए एम.एस. लिब्रहान आयोग का गठन हुआ.
अप्रैल 2002: अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर उच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की.
मार्च-अगस्त 2003: इलाहबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अयोध्या में खुदाई की, जिसमें मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने के प्रमाण मिले.
जुलाई 2005: संदिग्ध इस्लामी आतंकवादियों ने विस्फोटकों से भरी एक जीप का इस्तेमाल करते हुए विवादित स्थल पर हमला किया। सुरक्षा बलों ने पांच आतंकवादियों को मार गिराया.
जुलाई 2009: लिब्रहान आयोग ने गठन के 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी.
28 सितंबर 2010: सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहबाद उच्च न्यायालय को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया.ImageSource
30 सितंबर 2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया, और 2.77 एकड़ जमीन का बंटवारा कर दिया गया था. कोर्ट ने यह जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के बीच जमीन बराबर बांटने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई.
21 मार्च 2017: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की पेशकश की.
9 नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने सर्वसम्मति से 40 दिनों की लगातार सुनवाई के बाद ऐतिहासिक फैसला सुनाया, और विवादित जमीन पर पूरी तरह से रामलला का हक मानते हुए अपने फैसले में कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही किसी उचित जगह मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जगह दी जाए, और केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का भी आदेश दिया, इस ट्रस्ट के पास ही मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी है|
5 अगस्त 2020: अयोध्या में एक भव्य आयोजन के साथ श्रीराम मंदिर के लिए भूमि पूजन संपन्न हुआ और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के हाथों राममंदिर का शिलान्यास हुआ. अब मंदिर निर्माण का कार्य तेज़ी से शुरू हो जायगा.