एक गढ्ढा खोदकर ही काम हो सकता था..लेकिन फिर भी खोद दिए कितने गढ्ढे

समय और परिस्थितियां हमेशा एक जैसी नहीं रहती अगर आज दुख है तो कल सुख होगा. हर व्यक्ति के जीवन में कभी अच्छा समय रहता आता है, तो कभी बुरे दौर से गुजरना पड़ता है. और वैसे भी कहा जाता है कि व्यक्ति की पहचान उसके मुश्किल दौर से होती है. साथ ही यह पता लगता है कि अनुकूल स्थिति में तो हर कोई किसी भी चीज़ पर फैसला तुरंत कर लेता है परंतु विपरीत परिस्थति पर सही फैसला करता है तो उससे बड़ा विद्वान व बलवान व्यक्ति कोई हो ही नहीं सकता. अर्थात धैर्य रखने वाले व्यक्ति के समक्ष कितनी भी कठिन परिस्थिति हो वह अपने वेग से व धैर्य से स्थिति को फायदे में बदल लेता है.

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भैया लक्ष्य इतना बड़ा है तो मेहनत भी ज्यादा करनी होगी और धैर्य का दामन भी पकड़ना होगा. कहते हैं कि जिसने अपने काम को धैर्य के साथ नहीं किया तो उनके परिणाम अच्छे नहीं आते. आज हम गौतम बुद्ध की एक कहानी के जरिए के बताते हैं कि धैर्य की महत्तवता कितनी अधिक होती है. इस संबंध में गौतम बुद्ध की एक प्रेरक कथा प्रचलित है…

एक बार भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ एक यात्रा पर निकले. रास्ते में जगह-जगह पर गड्ढे खुदे हुए थे. यह देख शिष्यों ने महात्मा बुद्ध से पूछा कि एक ही खेत में इतने सारे गड्ढे क्यों खुदे हुए हैं. इस प्रश्न का जवाब महात्मा ने इस प्रकार दिया “इस खेत के मालिक ने पानी की खोज के लिए इतने सारे गड्ढे खोदे थे. थोड़ा सा गड्ढा खोदने पर जब पानी नहीं मिलता तो वह दूसरा,तीसरा गड्ढा खोदता पर पानी फिर भी नहीं मिला. अगर खेत का मालिक धैर्य रखता तो उसे एक ही गड्ढे से पानी भी मिलता और इतने सारे गड्ढे खोदने की ज़रूत नहीं पड़ती. इससे साफ जाहिर होता है कि खेत के मालिक में धैर्य की कमी थी.

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कथा से यह सीख मिलती है..
जल्दबाजी में किए गए काम को शैतान का काम बोलते हैं. अर्थात् कार्य की शुरूआत करने से पहले देखो, समझो और न समझ में आए तो सलाह लो. और फिर काम को अंजाम दो.