अंगद का आत्मविश्वास जगाने के लिए ऐसा करना था आवश्यक

भगवान राम के गुणों को हम अपने जीवन में थोड़ा सा भी शामिल कर लें तो हमारा जीवन उज्जवल हो जाएगा. आज के इस लेख में हम उस गुण की बात कर रहे हैं जब उन्होंने माता सीता की खोज के लिए अंगद को हनुमान जी के जगह भेजा था. इससे हमें यह सीख मिलती है कि सामने वाले के गुण के हिसाब से जिम्मेदारी देनी चाहिए. पूरा घटनाक्रम इस प्रकार है-

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भगवान राम-लक्ष्मण को पूरी वानर के साथ समुद्र पार करना था लेकिन यह कार्य काफी कठिन था. तब राम जी ने समुद्र देवता से निवेदन किया कि उन्हें समुद्र पार करने दिया जाए. तब समुद्र देव ने श्रीराम को नल-नील के बारे में बताया कि वे विश्वकर्मा के पुत्र हैं. जानकारी के अनुसार ऋषियों ने उन्हें शाप दिया था कि यहां जो भी वस्तु पानी में डालेंगे, वह डूबेगी नहीं. आप इनकी मदद से समुद्र पर सेतु बांध सकते हैं. इसके बाद श्रीराम ने नल-नील को समुद्र पर सेतु बांधने की जिम्मेदारी दी. कुछ समय बाद जब सेतु बना तब जाकर पूरी वानर सेना के साथ प्रभु राम व लक्ष्मण लंका पहुंचे.

लंका पहुंचने के बाद भगवान राम ने अंगद को दूत बनाकर रावण की सभा में भेजा. रामजी चाहते तो हनुमानजी को दूत बनाकर भेज सकते थे, लेकिन उन्होंने इस काम के लिए अंगद को चुना. इससे रावण को समझ आ गया कि श्रीराम की सेना में भगवान हनुमान ही नहीं, बल्कि अंगद जैसे भी कई और शक्तिशाली वानर हैं. इस तरह घटनाक्रम से दो बातें हुईं, एक तो अंगद जी का आत्मविश्वास बढ़ गया, जो बहुत आवश्यक था, और दूसरी बात रावण तक सूचना भी पहुंच गई.
रामायण भारत का वो ग्रंथ है जो भारतीय संस्कृति को दर्शाता है. यह भगवान राम और देवी सीता के जीवन शैली के आदर्शों को दर्शाता है. भगवान राम और देवी सीता पूर्णता के प्रतीक हैं.

रामायण में कई कहानियां और घटनाएं हैं जिससे हम यह सीख सकते हैं कि जीवन को सफल बनाने के लिए हमें सबसे पहले तो घमंड को त्याग करना चाहिए.
9 महत्वपूर्ण बातें हैं जो धर्म और कर्म के सही मार्ग को खोजने में मदद करेंगे…

1.सत्य की जीत
2. एकता जीवन में किसी भी कठिनाई को दूर कर सकती है
3.अपने कर्तव्य के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध रहें
4.धार्मिकता का मार्ग चुनें
5. विनम्र बने रहें चाहे आप कितने भी शक्तिशाली बन जाएं
6.सभी के साथ समान व्यवहार करें
7.हमेशा अच्छी कंपनी रखें
8.हर चमकती चीज सोना नहीं होती
9.क्षमा करना बदला लेने से बड़ा है