जब ऋषि उद्धालक ने नहीं दिया अपने बेटे की बात का जवाब…तो पहुँच गए यमलोक

अगर आपके मन में है कि छोटे बच्चे क्या सिखाएंगे, तो आपको बता दें कि सीख किसी से भी मिल सकती है. आज के इस आर्टिकल में हम आपको उद्दालक ऋषि और नचिकेता की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं. इससे आप जान पाएंगे कि छोटे बच्चों की बातों से भी सीखा जा सकता है. प्राचीन काल में उद्दालक नाम के एक ऋषि हुआ करते थे. इनके बेटे का नाम नचिकेता था, जो बहुत बुद्धिमान बालक थे.

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एक दिन नचिकेता के पिता ने यज्ञ का आयोजन किया. यज्ञ के बाद पिता ने ब्रहामणों को गाय दान में दी. इस बात से नचिकेता बहुत दुखी हुए. दरअसल उनके पिता ने बीमार और कमजोर गायों को दान में दे दिया था, इसी वजह से नाचिकेता दुखी हो गए थे. यह देख नचिकेता के मन में विचार उमड़ने लगे कि जिन लोगों को गाय दान में दी जा रही है उनकी मुसीबत और बढ़ने वाली है.

इस विषय पर नचिकेता ने अपने पिता से प्रश्न पूछा कि आप कमजोर गायों को दान में क्यों दे रहे हो? पिता ने बेटे के इस प्रश्न को नज़रअंदाज कर दिया. और फिर नचिकेता बोले “इस तरह का दान ठीक नहीं है.’ पिता ने बेटे की किसी भी बात पर गौर नहीं किया.
फिर कुछ देर बाद नचिकेता ने अपने पिता से सवाल पूछा कि क्या आप मुझे भी किसी को दान में दे सकते हैं. उद्दालक ने अपने बेटे के इस प्रश्न का जवाब इस प्रकार दिया “हां तुम्हें भी दान में दे दूंगा”. यह सुन नचिकेता ने अगला सवाल पूछ, “आप मुझे किसे दान में देंगे?” इस पर पिता ने कहा “यमराज को”

पिता की बात को सत्य करने के लिए नचिकेता यमराज से मिलने यमलोक पहुंच गए. लेकिन वे मिले नहीं. और फिर नचिकेता ने यमलोक पर यमराज का तीन दिन तक इंतजार किया. तीन दिन के बाद यमराज लौ़टे और नचिकेता को देख प्रसन्न हुए और उससे बोले ‘तुमने तीन दिनों तक मेरी प्रतीक्षा की है. मैं तुमसे प्रसन्न हुआ हूं. मांगो जो भी इच्छा है तुम्हारी’.

यह सुन नचिकेता ने अपनी इच्छा में यह मांगा..’मेरी वजह से मेरे पिताजी को जो गुस्सा आया है, जो अशांति हुई है, वह शांत हो जाएं.’ और व्यक्ति के जीवन व मृत्यु से जुड़े रहस्य के बारे में जानकारी मांगी.

इससे यह मिलती है सीख
जब बच्चे माता पिता को सीख दें उस समय अपने तजुर्बे के अधार पर बातों को समझे और अगर सही हैं तो उसे अमल में लाएं. ये न सोचें कि वे छोटे है तो क्या सलाह देंगे.