आज अपने घर आ रहे हैं श्रीराम, हो रहा है नए युग का शुभारम्भ

सदियाँ बीत गईं, तरस गए थे कान, वो शंखनाद सुनने लिए. जिसमें गूँज हो रामराज्य की. पर आज सब होगा. शंखनाद भी होगा, पूजा भी होगी, हवन भी होगा, और दीपोत्सव भी. प्रभु राम जो पधारेंगे आज. अपने घर में, अपने मंदिर में. सबके ह्रदय में तो वो हमेशा ही रहते हैं. पर आज हम सबके निवेदन पर वो अपने घर में आयेंगे. जो हमारे लिए होगा भव्य श्रीराम मंदिर. वही घर जहाँ उनका जन्म हुआ, जहाँ उनका बचपन बीता, ये उनकी वही जन्मभूमि है. और अब वो हमेशा यहीं रहेंगे.

ये रामभक्तों की तपस्या का फल है. उस संघर्ष का फल है, जो पांच सदियों से चल रहा था, ये किसी अहम् की लड़ाई नहीं थी, किसी वर्चस्व की लड़ाई नहीं थी, और ना अधिकार की लड़ाई थी. क्योंकि उनका अधिकार तो समस्त ब्रह्माण्ड पर है, और हर इंसान के जीवन पर है. ये तो तो बस प्रभु राम के अपने ही घर आने की बात थी. उनके भक्त उन्हें लाने के लिए दिन पांच सौ सालों से प्रतीक्षा कर रहे थे, संघर्ष कर रहे थे, अपना जीवन भी झोंक दिया था, परिवार भी भूल गए थे, उन्हें तो बस अपने श्रीराम दिख रहे थे.

एक कहावत है, ‘अंत भला तो सब भला.’ तो यही हुआ, संघर्ष और तपस्या का आज अंत हुआ, और शुभारम्भ होने जा रहा है उस महान युग का, जिसे रामजी के भक्त सदैव देखना चाहते थे.

तो चलिए बातें बहुत हो गईं, आज कोई आगे पीछे की बात नहीं करते, केवल आज की बात करते हैं. भगवान राम की बात करते हैं, उनकी आराधना करते हैं. उत्सव मनाते हैं, दीप जलाते हैं, और तन मन से रंग जाते हैं उस रंग में, जिसमें हमारे आराध्य प्रभु श्रीराम हैं. और अनंतकाल तक वही रहेंगे.