आज भाई दूज है. दीपावली के दूसरे दिन यानि गोवर्धन पूजा के अगले दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. यह त्योहार भी रक्षाबंधन की तरह भाई बहन के प्रेम का पावन त्योहार है. भाईदूज के दिन बहन जहां भाई की लंबी उम्र की कामना करती है वहीं भाई अपनी बहन को सुख समृद्धि का आर्शीवाद देता है. उत्तर और मध्य भारत में यह पर्व मातृ द्वितीया भैया दूज के नाम से जाना जाता है, पूर्व में भाई-कोटा, पश्चिम में भाईबीज और भाऊबीज कहलाता है. इस पर्व पर बहनें प्रायः गोबर से मांडना बनाती हैं, उसमें चावल और हल्दी से चित्र बनाती हैं तथा सुपारी फल, पान, रोली, धूप, मिष्ठान आदि रखती हैं, दीप जलाती हैं. इस दिन यम द्वितीया की कथा भी सुनी जाती है.
आज बहनों द्वारा भाईयों को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1.10 बजे से लेकर 3.21 बजे तक रहेगा. इस बार द्वितिया तिथि 5 नवंबर को रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से लगेगी जो 6 नवम्बर को शाम 7 बजकर 44 मिनट तक बनी रहेगी.
पौराणिक कथाओं के अनुसार यम और यमुना भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संध्या की संतान हैं. बहन यमुना की शादी के बाद भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन के घर गए थे. इस अवसर पर यमुना ने उनका आदर-सत्कार किया और उनके माथे पर तिलक लगाकर यमराज को भोजन कराया था. अपनी बहन के इस व्यवहार से खुश होकर यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा. इस पर यमुना जी ने कहा कि मुझे ये वरदान दो कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक लगवायेगा और बहन के हाथ का भोजन करेगा उसको अकाल मृत्य का भय नहीं होगा. यमराज ने उनकी ये बात मान ली और खुश होकर बहन को आशीष दिया. माना जाता है तब से ही भाई दूज मनाने की परंपरा चली आ रही है.
आज पूरे देश में धूमधाम और धार्मिक परम्पराओं के अनुसार ये त्योहार मनाया जा रहा है. इसी के साथ दीवावाली के पांच दिन के महापर्व की विदाई भी हो जाती है.