आज है छठ पूजा का महापर्व जो तन और मन दोनों कर देता है शुद्ध

भारत वर्ष बड़े बड़े त्योहारों का देश है. सनातन संस्कृति तो मानो एक उत्सव है. यहाँ हर महीने त्यौहार होते हैं. हाल ही में नवरात्रि, दशहरा और दीवाली जैसे बड़े त्यौहार संपन्न हुए हैं. और उत्तर भारत का बड़ा धार्मिक उत्सव जिसे महापर्व भी कहते हैं, यानि छट पूजा का त्यौहार चल रहा है. चार दिनों के महापर्व छठ 2021 की शुरुआत नहाय-खाय से हो चुकी है. आज ही ये पर्व मनाया जा रहा है. छट शुरू होने के बाद उसके दूसरे दिन खरना मनाया जाता है. खरना कार्तिक शुक्ल की पंचमी को मनाया जाता है. खरना का मतलब होता है शुद्धिकरण. इसे लोहंडा भी कहा जाता है. खरना के दिन छठ पूजा का विशेष प्रसाद बनाने की परंपरा है.

छठ पर्व बहुत कठिन माना जाता है और इसे बहुत सावधानी से किया जाता है. कहा जाता है कि जो भी व्रती छठ के नियमों का पालन करती हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस बार छठ पूजा 10 नवंबर को मनाया जा रहा है. जो व्यक्ति छठ का व्रत करता है उसे इस पर्व के पहले दिन यानी खरना वाले दिन उपवास रखना होता है. इस दिन केवल एक ही समय भोजन किया जाता है. यह शरीर से लेकर मन तक सभी को शुद्ध करने का प्रयास होता है. इसकी पूर्णता अगले दिन होती है.

खरना पर प्रसाद ग्रहण करने का भी विशेष नियम है. जब खरना पर व्रती प्रसाद ग्रहण करता है तो घर के सभी लोग बिल्कुल शांत रहते हैं. चूंकि मान्यता के अनुसार, शोर होने के बाद व्रती खाना खाना बंद कर देता है. साथ ही व्रती प्रसाद ग्रहण करता है तो उसके बाद ही परिवार के अन्य लोग भोजन ग्रहण करते हैं. खरना के दिन रसिया का विशेष प्रसाद बनाया जाता है. यह प्रसाद गुड़ से बनाया जाता है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा का महापर्व नई फसल के उत्सव का भी प्रतीक है. सूर्यदेव को दिए जाने प्रसाद में फल के अलावा इस नई फसल से भोजन तैयार किया जाता है.