कोरोना ने इंसान की जीवनशैली में बहुत कुछ बदल दिया है. त्योहारों से लेकर काम काज सबकुछ एक अलग ही तरीके से होने लगे हैं. जहाँ वर्क फ्रॉम होम कल्चर ने इंसान को घर पे ऑफिस का फील सिखा दिया, तो वहीँ दीवाली और होली जैसे बड़े त्योहारों में इंसान सावधानी बरतना सीख गया. हाल ही में होली का त्यौहार बीता है, हालांकि सनातन धर्म में इस त्यौहार को पांच दिन का माना जाता है, और रंगपंचमी के दिन इसका समापन होता है. कहीं कहीं तो रंगपंचमी का त्यौहार होली से भी ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है. खासकर मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र और गुजरात में आज ये त्यौहार मनाया जा रहा है. पर इस बार थोडा ध्यान भी रखना होगा, और एक-दूसरे को छू कर नहीं बल्कि, हवा में रंग उड़ाकर ये त्यौहार मनाना चाहिए. वैसे भी इसे देवताओं का त्यौहार माना जाता है, और देवों के लिए हवा में रंग उड़ाकर रंगपंचमी पर देवताओं का स्वागत किया जाता है.
होली के बाद चैत्र महीने के कृष्णपक्ष की पांचवी तिथि को रंग पंचमी पर्व मनाया जाता है. पौराणिक परंपरा के मुताबिक इस दिन आसमान में रंग उड़ाकर देवताओं का स्वागत किया जाता है. इससे देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं. रंग पंचमी को अनिष्टकारी शक्तियों पर जीत हासिल करने वाला त्योहार माना जाता है. और आज 2 अप्रैल को ये उत्सव से मनाया जा रहा है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन श्रीकृष्ण ने राधाजी पर रंग डाला था. इसीलिए रंगपंचमी का ये त्यौहार मनाने की परम्परा निभाई जाति है. इस दिन राधारानी और भगवान श्रीकृष्ण की आराधना की जाती है. राधारानी के बरसाने में इस दिन उनके मंदिर में विशेष पूजा और दर्शन लाभ होते हैं.
ये त्योहार खासतौर से मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में उल्लास के साथ मनाया जाता है. इसमें राधा-कृष्ण को भी अबीर और गुलाल चढ़ाया जाता है. कई जगह देवताओं की शोभायात्रा भी निकलती है, जिसमें लोग एक-दूसरे पर अबीर-गुलाल डालते हैं, और हवा में उड़ाते हैं.