आज है विशेष फल देने वाली भीष्म अष्टमी, पितामह भीष्म ने अपनी मृत्यु के लिए चुना था ये दिन

ये भारत है, त्योहारों का देश, परम्पराओं का देश, धर्म का देश और हमारी धार्मिक आस्थाओं का देश. यहाँ कदम कदम पर मंदिर हैं, कण कण में भगवान हैं, हर एक दिन का अपना एक महत्व है, और हर एक दिन महान है.ImageSource

महाभारत के युद्ध के बारे में हम सब जानते हैं. वो युद्ध धरती का इतना बड़ा संग्राम था कि, दुनिया का एक बड़ा हिस्सा वीरों से खाली हो गया था. उस युद्ध में एक से बढ़कर एक योद्धों ने भाग लिया था. पितामह भीष्म ने कौरवों की तरफ से युद्ध लड़ा था, हालांकि वो जानते थे कि, वो अधर्म के साथ हैं, फिर भी वंश की परम्पराओं के साथ रहना वो अपना पहला दायित्व समझते थे, इसी के कारण उन्होंने कौरवों का साथ दिया.

कई दिनों तक चले युद्ध के बाद आखिरकार वीर अर्जुन ने उन्हें परास्त कर दिया, और एक साथ कई बाण उनके शरीर में प्रवेश कर गए. पर भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था. श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार, महाभारत के युद्ध में अर्जुन के तीरों से घायल होने के बाद भी भीष्म पितामह 18 दिनों तक मृत्यु शैय्या पर लेटे रहे थे. जिसके बाद अपनी इच्छा से उन्होंने माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को ही, अपनी मृत्यु का वरण कर मोक्ष प्राप्त किया था. अर्थात भीष्म पितामह की मृत्यु इसी दिन हुई थी. उसी दिन से हर वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीम अष्टमी के रुप में मनाया जाता है.

हिंदू कैलेंडर के अनुसार भीष्म अष्टमी वर्ष 2021 में 19 फरवरी शुक्रवार को यानि आज है. भीष्म अष्टमी 19 फरवरी की सुबह 11: 01 से शुरू होकर, अगले दिन 20 फरवरी की दोपहर 01:33 तक रहेगी. ऐसे में इस दौरान दान-पुण्य करने का अपना एक विशेष महत्व होगा. महाभारत के पितामह भीष्म के याद में, हर वर्ष भीम अष्टमी मनाई जाने का विधान हैं. देश के सभी विष्णु मंदिरों में भीम अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भीम अष्टमी का व्रत करने से व्यक्ति को अपने सभी पापों से और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. भीम अष्टमी के दिन जल, कुश और तिल से भीष्म पितामह का तर्पण किया जाता है. इससे वीर एवं योग्य संतान की प्राप्ति होती है.