आज है जन्माष्टमी 27 साल बाद एक ही दिन का होगा ये पर्व

आज भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानि जन्माष्टमी है. श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पूरे देश में बहुत धूमधाम से और अलग अलग प्रान्तों में वहां के रीति रिवाज और तरीकों से मनाया जाता है. जैसे महाराष्ट्र में जगह जगह पर दही हांड़ी की प्रतियोगिता का आयोजन होता है. तो वहीँ श्रीकृष्ण की जन्म स्थली मथुरा और उसके समीप ही वृन्दावन में जन्माष्टमी की तैयारियां कई दिन पहले से शुरू हो जातीं हैं.

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एक और विशेष बात यह है कि इस बार 27 साल बाद यह पहला मौका है जब 30 अगस्त को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व एक ही दिन मनाया जाएगा. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस वर्ष ये तिथि 30 अगस्त को पड़ रही है. ये तिथि 29 अगस्त की रात 11.27 बजे से 30 अगस्त की रात 1.59 बजे तक रहेगी. 30 अगस्त की सुबह 6.38 बजे से 31 अगस्त सुबह 9.43 बजे तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा. वैसे तो प्रत्येक वर्ष गृहस्थ और वैष्णव संप्रदाय के लोग अलग- अलग जन्माष्टमी मनाते थे, पर इस बार ये पर्व एक ही दिन का होगा.

इस महासंयोग में व्रत करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होगी. आर्थिक, शारीरिक, मानसिक कष्टों से मुक्ति दिलायेगा. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण ने स्वयं ये कहा है कि, जो भी भक्त भाद्रपद की अष्टमी का व्रत रखता है, तो वह अपने पापकर्मों के सभी बन्धनों से मुक्त हो जाता है. और उसे वैकुण्ठ की प्राप्ति होती है.

किस तरह रखा जाए जन्माष्टमी का व्रत-:

सबसे पहले पहले सुबह स्नान ध्यान करने के बाद अष्टमी के व्रत का मन में संकल्प करना चाहिए. और उसके बाद पूरे दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए. केवल फलाहार ही करना चाहिए. शाम के समय भगवान श्रीकृष्ण को झूला झुलाना चाहिए. और भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाना चाहिए. भगवान कृष्ण को मेवा मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए. और प्रसाद का वितरण करना चाहिए. और अगले दिन सुबह ब्राह्मण को भोज कराकर दान दक्षिणा देना चाहिए, और फिर अपना व्रत खोलना चाहिए.