आज जन्माष्टमी है. भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाने वाला ये उत्सव कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है. इस बार ये त्यौहार दो दिन यानी 11 और 12 अगस्त को मनाया जायेगा.ImageSource
जाने माने ज्योतिषाचार्य श्री राजेश चित्रकूटी के अनुसार इस अष्टमी तिथि की शुरुआत 11 अगस्त को सुबह 9 बजकर 7 मिनट पर शुरू हो जाएगी, और 12 अगस्त को सुबह 11 बजकर 17 मिनट तक रहेगी. 11 अगस्त का व्रत गृहस्थ लोग रह सकते हैं, और 12 अगस्त का व्रत वैष्णव समुदाय के लोग यानी जिन्होंने वैष्णव सम्प्रदाय के गुरुओं से दीक्षा ली हुई है, और गुरुओं के द्वारा प्रदान की हुई कंठी माला जिन्होंने धारण कर रखी है, इस तरह साधु सन्यासियों को 12 तारीख का व्रत रखना चाहिए. श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पूरे देश में बहुत धूमधाम से और अलग अलग प्रान्तों में वहां के रीति रिवाज और तरीकों से मनाया जाता है. जैसे महाराष्ट्र में जगह जगह पर दही हांड़ी की प्रतियोगिता का आयोजन होता है. तो वहीँ श्रीकृष्ण की जन्म स्थली मथुरा और उसके समीप ही वृन्दावन में जन्माष्टमी की तैयारियां कई दिन पहले से शुरू हो जातीं हैं.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान् कृष्ण ने स्वयं ये कहा है कि, जो भी भक्त भाद्रपद की अष्टमी का व्रत रखता है, तो वह अपने पापकर्मों के सभी बन्धनों से मुक्त हो जाता है. और उसे वैकुण्ठ की प्राप्ति होती है.
किस तरह रखा जाए जन्माष्टमी का व्रत-:
सबसे पहले पहले सुबह स्नान ध्यान करने के बाद अष्टमी के व्रत का मन में संकल्प करना चाहिए. और उसके बाद पूरे दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए. केवल फलाहार ही करना चाहिए. शाम के समय भगवान श्रीकृष्ण को झूला झुलाना चाहिए. और भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाना चाहिए. भगवान कृष्ण को मेवा मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए. और प्रसाद का वितरण करना चाहिए. और अगले दिन सुबह ब्राह्मण को भोज कराकर दान दक्षिणा देना चाहिए, और फिर अपना व्रत खोलना चाहिए.