आज है नागपंचमी, साल में केवल आज के ही दिन खुलता है नागदेवता को समर्पित ये मंदिर

आज नागपंचमी है. सनातन धर्म में ये त्यौहार सर्पों और नाग देव को समर्पित है. सर्प सदैव हिन्दू धर्म में पूज्यनीय रहे हैं. और नागपंचमी का ये एक दिन तो उन्हें विशेष रूप से समर्पित है. मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में तो एक नागदेवता को समर्पित एक मंदिर भी है, जो केवल आज के दिन यानि नागपंचमी को ही खुलता है. महाकाल की नगरी में महाकालेश्वर मंदिर के तीसरे तल पर स्थित है प्रसिद्ध नागचंद्रेश्वर मंदिर. और इस मंदिर की एक बड़ी विशेषता ये है कि, साल में ये सिर्फ एक ही दिन खुलता है, वो भी आज यानी नागपंचमी के दिन, जिसे श्रावण की शुक्लपंचमी भी कहा जाता है. कहा जाता है कि, इस मंदिर में स्वयं नागराज तक्षक विराजमान हैं.

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पुराणों के अनुसार यह विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान विष्णु की जगह बाबा महाकाल का परिवार शेष नाग पर विराजमान है. यही वजह है कि यहां नागचंद्रेश्वर भगवान का मंदिर है. विश्व भर में बाबा महाकाल ही एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है, जिनके शिखर भाग पर 11 वीं शातब्दी की महाकालेश्वर परिवार संग शेष नागचंद्रेश्वर की अद्भुत प्रतिमा है. जिसमें शिव-शक्ति का साकार स्वरूप भी है. शेष नाग पर सिर्फ विष्णु विराजमान होते है. लेकिन महाकाल में चांदी के शेष नाग और शिव परिवार विराजमान है. जिनके दर्शन हेतु हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं. इस विशेष तरह की प्रतिमा के बारे में ये कहा जाता है कि, ये नेपाल से लायी गई थी, और इस तरह की दूसरी और कोई भी प्रतिमा दुनियां में और कहीं नहीं है. इस प्राचीन मूर्ति में शिवजी की मूर्ति के साथ माता पार्वतीजी और गणेशजी भी विराजमान हैं.

केवल एक ही दिन में दो लाख से ज्यादा भक्त इस मंदिर के दर्शन करते हैं. जानकारी के अनुसार नागपंचमी के दिन रात के 12 बजे तक मंदिर में दर्शन के लिये पट खोलकर रखे जाते हैं. और उसके बाद एक साल के लिए इस मंदिर के द्वार फिर से बंद हो जाते हैं. ये परम्परा राजाओं के समय से शुरू हुई थी, और आज तक उसी तरह बरकरार है. मान्यता है कि, नागपंचमी के दिन इस मंदिर में विराजे भगवान शिव शम्भू के दर्शन से मनोकामना पूर्ण हो जातीं हैं.

हालांकि कोविड की वजह से इस बार भी भक्त भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन प्रत्यक्ष रूप से नहीं कर पाएंगे. भक्तों को भगवान के दर्शन ऑनलाइन होंगे. सभी को बाबा महाकाल मंदिर की वेबसाइट और ऐप के जरिए घर बैठे भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन होंगे. हालांकि बाबा महाकाल के दर्शन की व्यवस्था पहले की तरह ही रहेगी. 13 अगस्त को सांध्य आरती के बाद मंदिर के पट रात 12 बजे बंद कर दिए जाएंगे. हालांकि कई जगहों पर एलईडी स्क्रीन लगाई गई हैं,ताकि सभी को दर्शन मिल सकें.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नागपंचमी के दिन इस मंदिर में पूजा करने पर विशेष फल प्राप्त होता है. मान्यता है कि भगवान श्री राम यहां जब क्षिप्रा नदी के किनारे आए थे, उन्होंने भी यहां पूजा की थी. इसलिए पहले नागपंचमी पर होने वाला उत्सव क्षिप्रा नदी के किनारे मनाया जाता था. लेकिन जब 11वीं शताब्दी में नागचंद्रेश्वर भगवान की दुलर्भ प्रतिमा मिली तो उसे शिखर पर स्थापित किता गया. तभी से ये पर्व महाकाल मंदिर के प्रांगण में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर में मनाया जाता है.