आज छत्रपति महाराज शिवाजी की जयंती है, उम्र भर युद्ध लड़ते हुए जीवन कर दिया समर्पित

आज छत्रपति महाराज शिवाजी की जयंती है. भारत के वीर सपूतों में से एक श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में सभी लोग जानते हैं. शिवाजी एक महान देशभक्त थे, जो भारत माता के लिए अपना जीवन तक न्योछावर करने के लिए तैयार थे. शिवाजी ने मराठियों के लिए बहुत से कार्य किए. इसलिए मराठी शिवाजी को भगवान की तरह पूजते हैं. जानकार शिवाजी को महाराष्ट्र के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा योद्धा मानते हैं. लोग इन्हें हिन्दू हृदय सम्राट और मराठा गौरव कहते हैं. जबकि वे भारतीय गणराज्य के महानायक थे। छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म सन्‌ 19 फरवरी 1630 में मराठा परिवार में हुआ. कुछ लोग 1627 में उनका जन्म बताते हैं.

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शिवाजी पिता शाहजी और माता जीजाबाई के पुत्र थे. उनका जन्म स्थान पुणे के पास स्थित शिवनेरी दुर्ग में हुआ था. कहते हैं कि शिवाजी का अपनी माता के प्रति गहरा समर्पण भाव था। उनकी माता अत्याधिक धार्मिक विचारों वाली महिला थीं. घर के धार्मिक माहौल का शिवाजी पर बहुत गहरा असर पड़ा. उन्होंने कम उम्र में ही रामायण और महाभारत का अध्ययन कर लिया. शिवाजी महाराज को महान वीर एवं अमर स्वतंत्रता-सेनानी माना जाता है. शिवाजी के पिता शाहजी ने शिवाजी और जीजाबाई को पुणे में रखा तो दोनों की देखरेख की जिम्मेदारी शिवाजी के पिता ने अपने प्रबंधक दादोजी कोंडदेव को दे दी. दादोजी ने शिवाजी को घुड़सवारी, तीरंदाजी और निशानेबाजी आदि की शिक्षा दी. 12 वर्ष की उम्र में ही शिवाजी को उनके भाईयों के साथ बंगलौर भेज दिया जहां उन्होंने युद्धकला का प्रशिक्षण लिया. महज 15 वर्ष की उम्र में शिवाजी ने पहला युद्ध लड़ा और उन्होंने टोरना किले में हमला कर उसे जीत लिया. इसके बाद उन्होंने कोंडना और राजगढ़ किले को भी अपने कब्जे में ले लिया.

छत्रपति शिवाजी ने अपना पूरा जीवन युद्धरत रहकर समर्पित कर दिया. आज उनकी जयंती पर उन्हें शत शत नमन.