एक महापुरुष, जिसने अपनी आँखों से एक दिव्य सपना देखा था. जिसने भारत में रामराज्य की परिकल्पना की. महान हिंदुत्व पुरोधा, अयोध्या में श्रीराम मंदिर के सबसे बड़े नायक, विश्व हिन्दू परिषद् के संस्थापक परम श्रद्धेय श्री अशोक सिंघल का आज जन्म दिवस है. 27 सितम्बर 1926 के दिन गुरुग्राम में उनका जन्म हुआ. अपने जीवन काल में वो बहुत बड़ा काम कर गए और अपने जीवन को श्रीराम के नाम कर गए. अशोक सिंघल राम मंदिर आन्दोलन के सबसे बड़े नेता थे, और उन्होंने ही राम जन्मभूमि न्यास का गठन किया. लगातार 20 साल तक विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकारी अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल जी ही वो इन्सान थे, जिन्होंने अयोध्या के राम मंदिर आन्दोलन को इतना बड़ा रूप दे दिया कि, हर घर से राम मंदिर बनाने की आवाज़ उठने लगी. और उसी के बाद कारसेवकों ने अयोध्या की तरफ कूच करना शुरू किया, और हज़ारों की संख्या में लोग वहां इकठ्ठे हो गए थे. और देखते ही देखते इस आन्दोलन ने आक्रोश का रूप ले लिया था. अशोक सिंघलजी 2011 तक विश्व हिन्दू परिषद् के अध्यक्ष रहे, और फिर स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया. 17 नवम्बर 2015 को अशोक सिंघलजी का देहावसान हो गया. आज वो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन हमेशा राम मंदिर आन्दोलन के सबसे बड़े चेहरे के रूप में वो याद आयेंगे.
पिछले साल नवंबर के महीने में जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार 09 नवम्बर 2019 के दिन अयोध्या पर फैसला सुनाते हुए विवादित ज़मीन का हिस्सा रामलला और हिन्दू पक्ष को देने का फैसला किया, उसी समय भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट करके विश्व हिन्दू परिषद् के इस दिवंगत नेता को भारत रत्न देने की मांग कर दी. वास्तव में यदि इस आन्दोलन की बात की जाए इसमें सबसे पहला नाम विश्व हिन्दू परिषद् के संस्थापक और महासचिव स्वर्गीय अशोक सिंघलजी का ही आता है. उनके ही अथक प्रयासों का परिणाम है कि, आज भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर अयोध्या में बनना शुरू हो चुका है. यदि आज वो जीवित होते तो उन्हें ये देखकर बहुत ख़ुशी होती. पर जहाँ भी वो हैं वहीँ से देख रहे हैं. श्री अशोक सिंघल जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन.