आज दीवाली है. हिन्दू धर्म का सबसे प्रमुख त्यौहार. इस दिन परिवार के सब लोग मिलकर एक साथ पूजा करते हैं, और जमकर खुशियाँ मनाते हैं. ये परमपराओं का त्यौहार भी है, जिसमें इंसान की समृद्धि की झलक मिलती है. इस दिन विशेष तौर पर माता लक्ष्मी, भगवान श्री गणेश, और धन के देवता पर इस बार बहुत ही उत्तम योग बन रहा है.14 नवंबर शनिवार को दीपावली मनाई जाएगी. स्थिर लग्न में लक्ष्मी कुबेर पूजन का पूजन किया जाएगा. दीपावली पर शनि स्वाति योग से सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. यह योग सुबह से लेकर रात 8:48 तक रहेगा. दिवाली सर्वार्थसिद्धि के साथ ग्रहों की स्थिति भी बहुत उत्तम है.
शुक्र बुध की राशि कन्या में, शनिदेव स्वराशि मकर में ,राहु शुक्र की राशि वृष में तो केतु मंगल की राशि वृश्चिक में हैं. इस दिन सूर्य तुला राशि मे ,चंद्रमा शुक्र की राशि तुला में, पराक्रम कारक ग्रह मंगल गुरु की राशि मीन में , बुध शुक्र की राशि तुला में हैं. बताया जा रहा है कि ग्रहों की इस प्रकार की स्थिति 499 साल पहले 1521 में थी. दिवाली का पूजन स्थिर लग्न में करना अच्छा होता है. कहते हैं कि इस स्थिर लग्न में पूजन करने से माता लक्ष्मी आपके घर में ठहरती है.
दीवाली की पूजा का मुहूर्त इस प्रकार है-:
स्थिरलग्न में पूजन महूर्त
वृषभ-सायं 5:30 से 7:30 के मध्य
सिंह -रात 12:00 से 2:15 के मध्य
पूजन सामग्री- रोली, मौली, पान, सुपारी, अक्षत, धूप, घी का दीपक, तेल का दीपक, खील, बताशे, श्रीयंत्र, शंख , घंटी, चंदन, जलपात्र, कलश, लक्ष्मी-गणेश-सरस्वतीजी का चित्र, पंचामृत, गंगाजल, सिन्दूर, नैवेद्य, इत्र, जनेऊ, कमल का पुष्प, वस्त्र, कुमकुम, पुष्पमाला, फल, कर्पूर, नारियल, इलायची, दूर्वा.
दिवाली लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त गृहस्थों के लिए
दिवाली पूजा के शुभ मुहूर्त-
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त- शाम को 5 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम के 7 बजकर 07 मिनट तक
निशीथ काल पूजा मुहूर्त- रात्रि 08 बजे से रात 10.50 बजे तक होगा.
अमृत मुहूर्त- 10 बजकर 30 मिनट पर, इसमें कनक धारा स्तोत्र का पाठ, श्री सूक्त का पाठ आदि कर सकते हैं.
महानिशीथ काल मुहूर्त- 08 बजकर अर्ध रात्रि के पश्चात 1 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।
महानिशीथ काल मुहूर्त में ज्यादातर तंत्र साधना की जाती है.