त्रिफला के तीन फलों में से एक बहेड़ा, पेट की बीमारियों के लिए है रामबाण

बहेड़ा का पेड़ भारत के सभी प्रदेशों में पाया जाता है। इसके पेड़ लंबे और फैले हुए होते हैं। बहेड़ा के पत्ते 10 से 20 सेंटीमीटर लंबे और 6 से 9 सेंटीमीटर चौड़े होते हैं। बहेड़ा, त्रिफला के तीन फलों में से एक हैं। इसमें कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं। खासकर बहेड़ा फल के छिलके का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। कंठ और सांस की नली से जुड़ी बीमारी में इसका छिलका काफी असरकारक है। बहेड़ा का वानस्पतिक नाम टर्मिनेलिया बेलेरिका है।

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बहेड़ा हमारे आमाशय को मजबूत बनाता है और हमारी भूख को भी बढ़ाता है। इसका सेवन करने से हमें कब्ज की समस्या नहीं होती है। बहेड़ा के छिलके को चूसने से खांसी से राहत मिलती है। खांसी, जुकाम, दमा तथा गला बैठने की समस्या से पीड़ित व्यक्ति बहेड़ा के फल पर घी और आटे का लेप लगाकर उसे पका ले और फिर हल्का ठंडा होने पर उसके छिलके को मुंह में रखकर चूसें। इससे उसे इन परेशानियों से राहत मिलेगी। बहेड़ा के फल से बने चूर्ण को अश्वगंधा चूर्ण और गुड़ के साथ लेने से हृदय रोग में लाभ मिलता है। इसके में कफ को खत्म करने का गुण होता है।

बहेड़ा के गूदे को पीसकर उसे शरीर पर लगाने से जलन नहीं होती है। बहेड़े के छिलके और मिश्री के मिश्रण को बराबर मात्रा में सुबह-शाम लेने से आंखो की रोशनी तेज होती है। इसके अलावा बहेड़ा और जवासे के काढ़े में घी मिलाकर उसका सेवन करने से बुखार उतर जाता है। बालों के लिए बहेड़ा अत्यधिक उपयोगी है। इसके फल से बने चूर्ण को रातभर पानी में भिगोकर रखे और सुबह बालों की जड़ों में लगाकर एक घंटे बाद धो ले। इससे बाल मजबूत होंगे और बाल गिरने की समस्या से छुटकारा मिलेगा। बहेड़ा के बीजों की गिरी से बने तेल को मुहांसों पर लगाने से मुहांसे दूर होते हैं और चेहरा साफ़ हो जाता है।

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हालांकि इन सब फायदों के बावजूद बहेड़ा का उपयोग करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लेना चाहिए। क्योंकि बहेड़ा एक ऐसी औषधि हैं, जिसका गलत उपयोग करने से आपको नुकसान भी हो सकता है। इसका अधिक उपयोग करने से गूदा प्रभावित होता है और उल्टी भी हो सकती है।