इंसान कितनी भी कोशिश कर ले, लेकिन भगवान की मर्जी के बिना कुछ नहीं होता. ऐसा ही एक वाकया अभी हाल ही में सामने आया है. तमिलनाडु के एक मंदिर से दशकों पहले चोरी हुईं भगवान राम, लक्ष्मण और सीता की तीन मूर्तियों को मंगलवार को ब्रिटेन ने भारत सरकार को वापस दे दिया गया है. दरअसल चुराने वाले ने इसे कहीं बेच दिया था और वो एक ऐसे इंसान के पास पहुँच गईं थी, जो पुरानी चीज़ों का संग्रह करने का शौकीन था. लेकिन उसी संग्रहकर्ता को जब इन मूर्तियों के वास्तविक इतिहास और महत्व के बारे में पता चला तो स्वयं उसने इन मूर्तियों को लौटाने की पेशकश करते सरकार के समक्ष अपनी बात रखी थी. इन मूर्तियों की चोरी 1978 में हुई थी, जिसके बाद तमिलनाडु पुलिस ने लंदन की मेट्रोपोलिटन पुलिस के साथ मिलकर जांच शुरू की थी.
जानकारी के अनुसार जिस अनाम संग्रहकर्ता ने मूर्तियों को खरीदा था, उसी ने मेट्रोपोलिटन पुलिस को इनके बारे में बताया और उक्त घटना की जानकारी भी दी. पुलिस ने सन 1950 में खींचे गए प्रतिमाओं के चित्रों से मिलान करने के बाद पाया गया कि यह विजयनगर काल की वही मूर्तियां हैं जिन्हें तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले के अनंतमंगलम में स्थित श्री राजगोपालस्वामी मंदिर से चुराया गया था. प्रतिमाओं के वापस मिलने पर लंदन में इंडिया हाउस में आयोजित एक समारोह में कोविड-19 के चलते सीमित संख्या में अतिथियों को बुलाया गया और एक सादा समारोह में लंदन स्थित श्री मुरुगन मंदिर के पुजारियों ने मूर्तियों की संक्षिप्त पूजा-अर्चना की और इसके बाद उन्हें भारत को सौंप दिया गया. ब्रिटेन में भारत की उच्चायुक्त गायत्री इस्सर कुमार ने कहा, “आज इन सुंदर प्रतिमाओं की खोज पूरी हुई. हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि इन मूर्तियों को भारत भेजने से पहले इनके साथ आदरपूर्वक व्यवहार किया जाए.”
उन्होंने कहा, “भारत सरकार की ओर से मुझे उम्मीद है कि इससे प्रेरणा लेकर संग्रहालय और संग्रहकर्ता अपने संग्रह की जांच करेंगे और भारत के लोगों को उनके भगवान की मूर्तियां वापस करने में हमारी सहायता करेंगे.” जानकारी के अनुसार ब्रिटेन में रहने वाला मूर्तियों के संग्रहकर्ता को भारतीय कला और संस्कृति का प्रशंसक बताया जाता है.
मेट्रोपोलिटन पुलिस के टिम राईट ने कहा, “इन प्रतिमाओं को भारत को सौंपने से दो उद्देश्य सिद्ध हुए हैं: प्रभावी संपर्क और बातचीत तथा सांस्कृतिक विरासत का प्रेलखन. इससे न केवल चोरी की वारदात को कम करने में सहायता मिलेगी बल्कि हमें साक्ष्य भी मिलेंगे, जिनके बिना इस मामले का नतीजा कुछ और भी हो सकता था।” भारत के संस्कृति और पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल ने डिजिटल माध्यम के ज़रिये इस अवसर पर अपनी उपस्थति दर्ज की.