पिछले चार महीने से कोरोना महामारी से पूरी दुनिया के लोग परेशान हैं. लगभग सभी देशों के वैज्ञानिक इस महामारी से लड़ने के लिए वैक्सीन की खोज में लगे हुए हैं. उम्मीद है कि जल्द ही सब इस बिमारी से छुटकारा मिले सकता है. ऐसे में उत्तराखंड सरकार की तरफ से जानकारी आई है कि चारधाम यात्रा की अनुमति दे दी है. हांलाकि, कोरोना संक्रमण के कारण यात्रा की गति धीमी है. और ऐसी संभावना है कि आने वाले एक महिने तक और ऐसा माहौल रह सकता है. ImageSource
उम्मीद है कि अक्टूबर माह में यात्रा की गति में तेजी आ सकती है. कोरोना महामारी के चलते ही ऑनलाइन विभाग ग्रीन कार्ड के मसले पर अंतिम निर्णय नहीं ले पा रहा है. असल में ग्रीन कार्ड व्यवसायिक वाहनों को दिया जाता है, जो चारधाम यात्रा के दौरान मार्ग पर चलते हैं. और हर साल 15 से 20 हजार ग्रीन कार्ड जारी किए जाते हैं. बारिश के कारण चारधाम की यात्रा धीमी है. और जो भक्त यात्रा कर भी रहे हैं वो खुद के वाहन से ही जा रहे हैं.
ग्रीन कार्ड किन्हें दिया जाता है…
ग्रीन कार्ड केवल उन्हें ही दिया जाता है जिनके पास गाड़ी के सभी कागजात होते हैं और वाहन भी पूर्णरूप से ठीक होना चाहिए. इसका मतलब यह है कि वाहन पर्वतीय रास्ते पर चलने के लिए सक्षम है. ImageSource
आपको बता दें कि यात्रा के लिए RTO द्वारा इस तरह के कार्ड को बनाया जाता है. चारों धाम की यात्रा की शुरुआत साल के दूसरे भाग यानी जुलाई से शुरु हो जाती है. ऐसे में इन महिनों में अगर कोई ग्रीन कार्ड बनवाता है तो उसे कतार में खड़ा होना पड़ता है और अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है. कई भक्त तो ऐसे हैं जो लंबी कतार से बचने के लिए बुकिंग पहले ही कर लेते हैं.
प्रमुख जानकारी…
वाहन संचालकों को राहत देने के लिए परिवहन विभाग ने चालक समेत 10 सीटों की क्षमता वाले वाहनों के लिए ऑनलाइन ग्रीन कार्ड बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए NIC software भी तैयार किया गया है केवल ऑनलाइन शुल्क का नियम लागू करना शेष है. ImageSource
उप परिवहन आयुक्तव एस.के सिंह से मिली जानकारी के अनुसार कोरोना काल में व्यवसायिक वाहनों का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. उम्मीद है कि अक्टूबर में अगर स्थिती सामन्य होती हैं तो यात्रा में बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है. और फिर ऑनलाइन ग्रीन कार्ड देने पर विचार विमर्श किया जाएगा. और अगर स्थिती नहीं सुधरती तो अगले साल इस पर गौर किया जाएगा.