वल्लभी विश्वविद्यालय – भगवान श्रीराम के पुत्र लव के वंशजों से है इसका सम्बन्ध

हमारे देश में प्राचीनकाल से ही ज्ञान को सबसे अधिक महत्व दिया जाता रहा है। यही कारण है कि यहां खेती और उद्योगों के साथ ही शिक्षा के बड़े-बड़े केंद्र स्थापित होते रहे और उनकी ख्याति देश के दूरस्थ क्षेत्रों के साथ ही विदेशों में भी पहुंचती रही। ऐसा ही शिक्षा का एक बड़ा केंद्र रहा है वल्लभी विश्वविद्यालय। यह गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित है।

इसका महत्व इसी बात से पता चलता है कि इसे भारत के नालंदा विश्वविद्यालय की तरह गौरव हासिल था। यह विश्वविद्यालय अर्थशास्त्र, नीतिशास्त्र और चिकित्सा विज्ञान के लिए बहुत प्रसिद्ध था। वल्लभी या वल्लभीपुर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में भावनगर जिले के निकट एक प्राचीन नगर है। यह प्राचीन मैत्रक राजवंश की राजधानी रहा था। इस विश्वविद्यालय और राज्य का संबंध भी भगवान श्रीराम के वंशजों से जुड़ता है। वास्तव में बुंदेलों के परंपरागत इतिहास से पता चलता है कि वल्लभीपुर की स्थापना सन् 144 में उनके पूर्वपुरुष कनकसेन ने की थी, जो भगवान श्री रामचंद्र के पुत्र लव के वंशज थे। इससे फिर प्रमाणित होता है कि भगवान राम के वंशजों ने भी राज्य स्थापना, शिक्षा और नीति निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण निभाई है।

वल्लभी विश्वविद्यालय की स्थापना सन् 470 में मैत्रक वंश के संस्थापक सेनापति भुट्टारक ने की थी। यह वह काल था, जब गुप्त साम्राज्य का विखंडन हो रहा था। वल्लभी लगभग सन् 780 तक राजधानी बना रहा, फिर बाद में यह इतिहास के पन्नों से लुप्त हो गया। कुछ ऐसे ही कारण रहे कि यह सन् 725-735 में सौराष्ट्र पर हुए आक्रमणों से बच गया था।
वल्लभी विश्वविद्यालय, ज्ञान का महत्वपूर्ण केंद्र था। यहां सातवीं सदी के मध्य में चीनी यात्री ह्वेनसांग और आईचिन आए थे। उन्होंने इसकी तुलना बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय से की थी। यह नगर अब लुप्त हो चुका है, लेकिन वल नामक गांव से इसकी पहचान की गई है, जहां मैत्रकों के तांबे के अभिलेख और मुद्राएं पाई गई हैं।

प्राचीन काल में यह राज्य गुजरात के प्रायद्वीपीय भाग में स्थित था। वर्तमान समय में इसका नाम वल नामक भूतपूर्व रियासत तथा उसके मुख्य स्थान वलभी के नाम में सुरक्षित रह गया है। सन् 770 के पूर्व यह राज्य भारत में विख्यात था और यहां की प्रसिद्धि का कारण वल्लभी विश्वविद्यालय विशेष तौर पर था जो तक्षशिला तथा नालंदा की परंपरा में था। वल्लभीपुर या वलभि से यहां के शासकों के उत्तरगुप्तकालीन अनेक अभिलेख प्राप्त हुए हैं। खुदाई में मिली सामग्री, मुद्राएं और ताम्रपत्रों के साथ ही इतिहास के पन्नों से मिली जानकारी वल्लभी विश्वविद्यालय की गौरव गाथा बयां कर रही है।