दुनिया के नक्शे में जो स्थान हमारे भारत वर्ष का है, वो उसके गौरवशाली इतिहास का गवाह है. समय के साथ बहुत कुछ बदल गया है. लेकिन भारत की प्राचीन सभ्यता और धरोहर आज भी वही है. भारत के प्राचीन शहर और उनकी बनावट का इन सबमे बहुत योगदान है. इस देश में जितने भी प्राचीन शहर और नगर हैं, उनकी अपनी कोई न कोई कहानी है. धार्मिक मान्यता यहाँ हर शहर से जुड़ी हुई है. पर जब हम इस देश के सबसे प्राचीनतम शहरों की बात करते हैं, तो कुछ चुनिन्दा नाम ही सामने आते हैं, और उनमें से भी सबसे प्राचीन किसी एक शहर का नाम लिया जाये तो वो है उत्तरप्रदेश का वाराणसी, जिसे और भी कुछ नामों से जाना जाता है.
बाबा विश्वनाथ की नगरी के नाम से मशहूर वाराणसी को काशी और बनारस भी कहा जाता है. जानकारी के अनुसार वाराणसी केवल भारत का ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण एशिया का सबसे प्राचीन शहर है. साक्ष्यों के आधार पर भी एशिया का सबसे प्राचीन शहर वाराणसी को माना गया है. इसमें लोगों के निवास के प्रमाण 3000 साल से अधिक पुराने है, हालांकि कुछ विद्वान इसे 5000 साल से भी अधिक पुराना मानते है. लेकिन हिन्दू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ये और भी प्राचीनतम शहर है.
विश्व के सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में काशी का उल्लेख मिलता है. यूनेस्को ने 1800 से 1500 ई पू की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है. इसका मतलब है कि काशी 3000 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है.
लेकिन अगर हिन्दू संस्कृति और प्रौरानिक तथ्यों की बात करें तो काशी का अस्तित्व 10,000 वर्ष पूर्व हुए कश्यप ऋषि के काल से ही माना जाता है. पोरानिक कथाओं में भी समय समय पर काशी का महत्व और वर्णन बताया गया है.