महत्वपूर्ण हैं वास्तु की आठ दिशाएं: उत्तर-पूर्व दिशा में बाथरूम होना अशुभ

वास्तु में घर की वस्तुओं के लिए शुभ-अशुभ दिशाएं बताई गई हैं। वास्तु के अनुसार चीज़ों को सही दिशा में रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनती है. अगर हम इन्हें नियमअनुसार फॉलो करते हैं तो हमेशा नकारात्मक ऊर्जा से दूर रहेंगे. वास्तु विशेषज्ञ के अनुसार वास्तु में आठ दिशाएं होती हैं, सभी दिशाओं का अपना महत्व है. साथ ही आठों दिशाओं के देवी- देवता सभी अलग हैं। आईये अब जानते हैं आठों दिशाओं के बारे में…

पूर्व दिशा: इस दिशा के स्वामी इंद्र हैं. इस दिशा में सोना और पढ़ाई करना शुभ होता है. यदि आपके घर की खिड़की इस दिशा में है तो बात सोने पे सुहागे वाली है. सूरज की किरणें घर पर पढ़ने से सकारात्मक ऊर्जा बनती है.

पश्चिम दिशा – इस दिशा का संबंध वायु तत्व है। इसके देवता वरुण देवता हैं। इस दिशा में आपका किचनआलय या कहें रसोईघर नहीं होना चाहिए.

उत्तर दिशा – इस दिशा के देवता कुबेर देव है. इस दिशा में मंदिर होना शुभ है. और घर का मैन गेट भी इस दिशा मे है तो इसे भी शुभ माना जाता है.

दक्षिण दिशा – इस दिशा के देवता यम हैं. इस दिशा में भारी सामान रखा जा सकता है.

उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण – इस दिशा के देवता रुद्र हैं. इस दिशा में मंदिर बनाना शुभ है. हां, पर इस दिशा में बाथरूम नहीं होना चाहिए.

उत्तर-पश्चिम दिशा यानी वायव्य कोण – ये वायु तत्व का कोण है। इसके देवता पवनदेव हैं। इस दिशा में बेडरूम होना अच्छी बात है. जानकारी के अनुसार इस दिशा में सोने से अच्छी नींद आएगी और इसके बाद होने वाले सभी कार्यौं में मन अच्छे से लगेगा. ध्यान रहे गंदगी न हो.

दक्षिण-पूर्व दिशा यानी आग्नेय कोण – इस दिशा में रसोईघर होना शुभ माना जाता है. इस दिशा के तत्व अग्नि और देवता अग्निदेव हैं।

दक्षिण-पश्चिम दिशा यानी नैऋत्य कोण – इस दिशा का तत्व पृथ्वी है. इसके स्वामी राहु हैं. जानकारी के अनुसार इस दिशा के देवता नैरुत भी बताए गए हैं. इस दिशा भारी चीजें रखना चाहें तो रख सकते हैं, कोई परेशानी की बात नहीं है.