जब शिकार करते हुए राजा विक्रमादित्य अचानक पहुंचे अयोध्या..

भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या अब पूरी दुनिया के लिए जाना पहचाना नाम हो चुकी है. वहां प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर निर्माण चल रहा है. ये नगर सदियों से राम भक्तों के लिए एक पावन तीर्थ रहा है. और इसीलिए प्रभु राम का वैभव फिर से उस शहर में यथावत दिखाई दे रहा है. कई कोशिशें हुईं, लेकिन भगवान राम के समक्ष हर दुश्मन नाकाम हुआ. अयोध्या नगरी से बड़े बड़े घटनाक्रम जुड़े हुए हैं. इसकी पावन मिटटी को अपने माथे से लगाकर भक्त भी धन्य हो जाते हैं. और अब तो दुनिया के कोने कोने से राम भक्त अयोध्या में पहुँचने के लिए व्याकुल हैं.ImageSource

सर्व विदित है, कि अयोध्या नगरी सरयू नदी के तट पर बसी हुई है, इसी नगरी में भगवान श्रीराम ने त्रेता युग में जन्म लिया था. श्रीराम ने त्रेता युग में रावण समेत कई दुराचारी राक्षसों का नाश करके राम राज्य की स्थापना की थी. मान्यता है कि अयोध्या को भगवान श्रीराम के पूर्वज विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु ने बसाया था. इसके बाद से ही इस पावन नगरी पर सूर्यवंशी राजाओं का शासन महाभारत काल तक रहा.

भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या की तुलना महर्षि वाल्मिकी ने इंद्रलोक से की है. वाल्मिकी रामायण में अयोध्या के सुंदर भवन और प्राकृतिक छटा का वर्णन मिलता है.

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कालांतर में उज्जैन के प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य आखेट करते हुए, अयोध्या पहुँच गए थे. थकान मिटाने के लिए उन्होंने सरयू नदी के तट पर एक स्थान को चुना. इस दौरान उन्हें इस स्थान की दिव्यता का आभास हुआ. जब इस बारे में राजा विक्रमादित्य ने स्थानीय संतों से पूछा तो उन्हें पता चल कि ये पावन नगरी अवध (अयोध्या) है. सम्राट विक्रमादित्य ने तत्पश्चात उन संत-महात्माओं के निर्देश पर यहाँ काले रंग के कसौटी पत्थरों पर 84 स्तंभों वाला भव्य राम मंदिर का निर्माण कराया था. अब एक बार फिर भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनने जा रहा है.