ये महानता है उस इंसान की, जो भारत की धरती पर जन्म लेने वाला ऐसा नायब हीरा है, जो सदियों में एक बार आते हैं. वो महान इंसान जिसने देश के सबसे पुराने और अमीर घराने की विरासत को इतनी ऊँचाइयों पर पहुंचा दिया, जहाँ केवल शिखर होता है. वो शख्स खुद ही हिमालय जैसा महान है. लेकिन फिर भी बहुत सामान्य इंसान है. जिनका नाम है रतन टाटा. देश के अग्रणी उधोगपति घराने के आधार स्तम्भ कहे जाने वाले रतन टाटा के बारे में पहले भी कई बार ये सुनने को मिला है कि, वो बहुत ही साधारण से इंसान हैं. और एक बार फिर से उन्होंने अपनी दरियादिली की महान मिसाल पेश की है. उद्योगपति रतन टाटा बीते रविवार को मुंबई से 150 किलोमीटर का सफ़र तय करके पुणे पहुंचे. यहां वह अपने एक पूर्व कर्मचारी के घर पहुंचे तो हर कोई हैरान हो गया. दो साल से बीमार कर्मचारी के हालचाल लेने के बाद रतन टाटा मुंबई लौट गए.
अपने अच्छे कामों को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले 83 साल के रतन टाटा रविवार को पुणे की एक सोसायटी में पहुंचे, और अपने एक पूर्व कर्मचारी के घर जाकर उससे मिले. ये कर्मचारी पिछले 2 साल से बीमार चल रहा है. इस तरह अचानक रतन टाटा को वहां देखकर सोसायटी के लोग और पूर्व कर्मचारी भी हैरान रह गए. रतन टाटा ने सिर्फ पूर्व कर्मचारी से मिलने के लिए मुंबई से पुणे का ये सफ़र तय किया.
रतन टाटा ने अपना यह दौरा पूरी तरह से व्यक्तिगत रखा. किसी मीडियावाले को भी सूचना नहीं दी गई. वह चुपचाप पुणे की सोसायटी में पहुंचे और अपने पूर्व कर्मचारी से मिले. रतन टाटा को देखकर यह कर्मचारी को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ.
टाटा समूह के सर्वेश्वर रतन टाटा रविवार को दोपहर लगभग 3 बजे कोथरुड में गांधी भवन के पास वुडलैंड सोसायटी में पहुंचे. टाटा बिना भीड़ या सुरक्षा के वहां आए. यहां वह अपने एक कर्मचारी इनामदार के घर पहुंचे और उनसे बातचीत की. रतन टाटा यहां लगभग आधे घंटे तक रुके. उन्होंने इनामदार के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की और लौट गए.