जब जब होई धर्म की हानि..

जब जब होई धर्म की हानि, बारहि असुर अधम अभिमानी.

तब तब धर प्रभु विविध शरीरा, हरहि दयानिधि सच्जन पीड़ा.

अर्थात जाब जब इस धरती पर धर्म की हानि होगी, असुरों और अधर्मियों का अन्याय धरती पर बढ़ जाएगा. तब तब प्रभु अलग अलग रूपों में अवतार लेकर धरती पर आयेंगे, और सच्जनों और साधु संतों को उन अधर्मियों के अन्याय से मुक्ति दिलाएंगे. ये रामायण की वो चौपाई है, जिसमें सम्पूर्ण युगों और कालखंडों का सार है. मानवजाति के लिए ये एक सम्पूर्ण बात है.

ये सच है हर युग में प्रभु ने अवतार लेकर धरती से अधर्मियों और अधर्म का अंत किया है. जीवन में बहुत सारे बदलाव होते हैं. ऐसे ही युगों में भी बदलाव होते हैं. हर युग में इस धरती पर पाप और पुण्य सामान रूप से रहे, और जब पापियों का अन्याय बहुत बढ़ जाता है, मनुष्य के लिए जीवन कठिन होते लगता है. तब तब प्रभु किसी न किसी रूप में धरती पर ज़रूर आये हैं.

भगवान विष्णु ने कई अवतार लेकर असुरों का अंत किया. और उनके प्रमुख अवतारों में श्रीराम और श्रीकृष्ण के अवतार मुख्य माने जाते हैं. श्रीराम ने ज्यादा से ज्यादा स्वयं ही असुरों का अंत किया. और श्रीकृष्ण भी वही किया, और कई लोगों को अधर्म पर विजय प्राप्त करने का मार्ग सुझाया.

इंसान को सत्कर्मों पर ही चलकर अपना जीवन बिताना चाहिए. अधर्म करने के बहुत से रास्ते हैं, जो हमारा पथ भ्रमित करते हैं. पर हमें हमेशा ये याद रखना चाहिए कि, ईश्वर हमें देख रहे हैं. संयम और धैर्य ही जीवन की सभी परेशानियों से हम सबको बाहर निकालते हैं. अन्याय और बुरे कर्म न तो मन को शांति देते हैं, और ना आत्मा को, हर तरह के रास्ते हमारे सामने आते ही हैं. पर उनपर चलने का और उन्हें चुनने का अधिकार हमारा ही होता है.