सकारात्मक सोच के साथ, 100 साल की महिला ने दी कोरोना को मात

कहते हैं उम्र बस एक संख्या है. अगर दिल में जज्बा हो और कुछ कर दिखाने की क्षमता हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है. इस कोरोना काल से हर कोई परेशान है सब अपना मनोबल किसी न किसी तरह से बढ़ाने में लगे हुए हैं जिससे आने वाले कल को बेहतर बनाने में जुट सकें. किसी भी चीज़ की शुरूआत करने से पहले हौसला प्रबल होना चाहिए और आप अपना हौसला बढ़ाने के लिए पढ़िए कि कैसे 100 साल की महिला ने कोरोना को दी मात..

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आज हम बात करे रहे हैं फरीदाबाद में रहने वाली 100 साल की महिला के बारे में. भरपाई देवी ने जिस उम्र में कोरोना को मात दी है उसे देख कर यह कहा जा सकता है कि आप जीवन में कभी भी हार न मानें और निरंतर प्रयास करने से जिंदगी की कठिन परीक्षा के बाद भी परिणाम आपके अनुरूप आ सकता है. जानकारी के अनुसार भरपाई देवी का एक फेफड़ा काफी साल पहले टीबी के चलते खराब हो गया था. वह केवल एक ही फेफड़े से सांस ले रही थीं. उन्हें कोरोना संक्रमण हो गया जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां वे एक हफ्ते रहीं, कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद 7 अप्रैल को उन्हें ICU से निकाला गया और 9 अप्रैल को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. इस अस्पताल के चिकित्सक ने एक अखबार को बताया कि सकारात्मक सोच के चलते हम किसी भी बीमारी को बहुत जल्द हरा सकते हैं. कोरोना से डरने की नहीं बल्कि इसके प्रति सतर्क रहने व हिम्मत दिखाने की आवश्यकता है.

भरपाई देवी के नाती सुरेंद्र सिंह ने जो बताया उसे जानकर आप के अंदर खुद हिम्मत बढ़ जाएगी. उनकी नानी 100 साल की होने के बावजूद सारा काम खुद करती हैं किसी पर निर्भर नहीं रहती. इस उम्र में भी उनकी डाइट काफी अच्छी है. रोजाना दूध पीना उन्हें पसंद है. साथ ही मौसमी फल व सब्जियां खाना उन्हें ज्यादा पसंद है. यही नहीं वे हर दिन सुबह और शाम टहलने के लिए समय निकालती रहती हैं. आगे वे बताते हैं कि कोरोना संक्रमण होने के बावजूद उन्होंने कभी भी इस बीमारी को गंभीरता से लिया ही नहीं और दवाईयां भी खुद ही लिया करती हैं.

आपको सकारात्मक सोच के कुछ ऐसे फ़ायदे बताते हैं, जिनसे बेहतर स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं.
1.जीवन काल बढ़ा होता है
2. अवसाद कम होते हैं
3. संकट का प्रभाव कम रहता है
4. बेहतर मनोवैज्ञानिक और शारीरिक विकास होता है
5. बेहतर स्वास्थ्य से हृदय रोग से मृत्यु का खतरा कम होता है