आज 26 जुलाई है, जिसे कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत देश और देशवासियों के लिए इस दिन इसके मायने बहुत ज्यादा हैं. सन 1999 का वो साल जब हमारे जांबाज़ सैनिकों के 18000 फुट की उंचाई पर बर्फीली पहाड़ियों से दुश्मन देश के सैनकों को खदेड़कर कारगिल की चोटी पर भारतीय तिरंगा लहराकर, दुश्मन देश को ये बता दिया था कि, इस देश की तरफ कभी आँख उठाकर भी देखा, तो उनकी खैर नहीं. कई दिनों तक लगातार ये युद्ध चला था, और हमारे कई वीर जवानों ने देश की आन के लिए अपनी जान समर्पित कर दी थी. इस युद्ध में पाकिस्तानी सैनिक ऊपर पहाड़ियों पर थे, जबकि हमारे सैनिक गहरी खाई से उनका मुकाबला कर रहे थे. भारतीय जवान रात में छिपते हुए किसी तरह ऊँचाई पर पहुँचते थे, लेकिन फिर भी उन्होंने पूरी बहादुरी से दुश्मन सेना को हर मोर्चे पर परास्त कर दिया. 60 दिनों तक चलने वाले इस युद्ध में हमारे 3000 जवानों ने देश के नाम अपना जीवन कर दिया, और लड़ते हुए वतन पर अपनी जां निसार कर दी. 23 साल पहले पाकिस्तानी सेना को घुटनों पर लाने वाली भारतीय सेना के जवानों ने अपनी अंतिम सांस तक युद्ध किया, और हर दिन भारत के वीर सैनिक, दुश्मन सेना के इरादों को नेस्तनाबूत करते रहे, और इतिहास बना दिया, जो हर भारतवासी को गौरवान्वित करता है. कैप्टन मनोज पाण्डेय, कैप्टन आदित्य मिश्र, रायफलमैन सुनील जंग ऐसे कई नाम हैं, जिन्होंने अपनी जान गंवाकर भी देश की शान को कम नहीं होने दिया, और शौर्य की महान गाथा लिखकर हमेशा के लिए अमर हो गए.
26 जुलाई 1999 के दिन भारतीय सेना ने कारगिल पर अपनी विजय पताका लहराकर इस युद्ध को विराम दे दिया. इसे ‘ऑपरेशन विजय’ का नाम दिया. और तभी से हर वर्ष 26 जुलाई के दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज इसी विजय दिवस की 23 वीं वर्षगांठ है, हमारे वीर जवान, जिन्होंने इस युद्ध में अपने प्राण न्योछावर कर दिए, उन्हें शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि.