अयोध्या में बन रहा श्रीराम मंदिर करोड़ों लोगों की सालों की तपस्या का परिणाम है। अयोध्या में रामलला के लिए भव्य मंदिर का निर्माण हो, इसके लिए कई लोगों ने बलिदान दिया है। भगवान श्रीराम के मंदिर बनने की कहानी में एक नहीं बल्कि कई नायक है।
अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनाने में बिहार के दरभंगा में जन्मे बैरागी अभिराम दास का महत्वपूर्ण योगदान है। माना जाता है कि अभिराम दास ही वह शख्स है, जिन्होंने 23 दिसंबर 1949 में गर्भगृह में रामलला की मूर्ती रखी थी। इस घटना के बाद ही पूरे देश में अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनाने के आंदोलन ने जोर पकड़ा।
श्रीराम मंदिर के नायकों में देवरहा बाबा का नाम भी आता है। भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता उनके शिष्य हुआ करते थे। देवरहा बाबा सहित अन्य धर्म गुरुओं ने प्रयागराज कुंभ 1989 में हुई धर्म संसद में अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनाने का संकल्प लिया था। कहा जाता है कि जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी श्रीराम मंदिर को लेकर दबाव में थे तो वह देवरहा बाबा के पास पहुंचे थे। तब देवरहा बाबा ने राजीव गांधी से कहा था कि आप मंदिर का शिलान्यास करवाएं। एक समय ऐसा भी आया जब सरकार शिलान्यास का स्थल बदलना चाहती थी, लेकिन देवरहा बाबा ने विश्व हिंदू परिषद् के अध्यक्ष अशोक सिंघल को बुलाकर साफ़ कर दिया कि शिलान्यास तय स्थल पर ही होगा।
जब भी श्रीराम मंदिर निर्माण में भूमिका निभाने वाले लोगों की बता होगी उनमे महंत अवैद्यनाथ का नाम जरुर लिया जाएगा। महंत अवैद्यनाथ को राम मंदिर आंदोलन की विरासत अपने गुरु महंत दिग्विजय नाथ से मिली थी। 1984 में महंत अवैद्यनाथ को श्रीराम जन्म भूमि मुख्य आंदोलन का अध्यक्ष बनाया गया था। महंत अवैद्यनाथ के नेतृत्व में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए कई आंदोलन हुए। उत्तरप्रदेश के मौजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महंत अवैद्यनाथ के उत्ताधिकारी है।
श्रीराम मंदिर निर्माण के इतिहास पर लिखी हर किताब में कोठारी बंधु का नाम जरूर आता है। शरद कोठारी और राजकुमार कोठारी नाम के कोठारी बंधु कोलकाता में रहते थे। साल 1990 में दोनों भाई श्रीराम मंदिर निर्माण के संकल्प के साथ करीब 200 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके अयोध्या पहुंचे थे। शरद कोठारी वह पहले शख्स थे, जिन्होंने विवादित ढांचे के गुंबद पर भगवा ध्वज फहराया था। कुछ देर बाद उनके भाई ने भी गुंबद पर चढ़कर भगवा ध्वज फहराया। हालांकि इस घटना के तीन दिन बाद पुलिस की गोली से दोनों भाईयों की मृत्यु हो गई। उनके अंतिम संस्कार में हजारों लोग उमड़ पड़े थे।
अब सब कुछ बदल गया है, पिछले महीने ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया है। शिलान्यास के साथ मन्दिर निर्माण का कार्य भी शुरू हो गया है। बहुत जल्द रामभक्त अपने आराध्य का भव्य मंदिर देख सकेंगे, पर जिन लोगों ने राम मंदिर आंदोलन के लिए संघर्ष किया है, वो इतिहास में हमेशा अमर रहेंगे।