सनातन धर्म में भगवान श्रीगणेश को प्रथम पूज्य माना गया है। किसी भी शुभ काम से पहले उनकी पूजा की जाती है। भगवान श्रीगणेश की पूजा करने से सारे विघ्न व बाधाएं दूर हो जाती हैं इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता हैं।
भगवान श्रीगणेश का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। इसलिए इस दिन पूरे देश में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष आज 22 अगस्त को गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की स्थापना और उनकी पूजा करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि 10 दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार में जो भी श्रद्धालु भगवान श्रीगणेश की सच्चे मन से पूजा करता है, गणपति बप्पा उसके सारे संकट हर लेते हैं। श्रद्धालुओं में भी गणपति बप्पा को अपने घर लाकर उनकी स्थापना करने का खासा उत्साह है। हालांकि भगवान श्रीगणेश की स्थापना करने और उनकी पूजा करने को लेकर कुछ नियम भी बताए गए हैं।
शुभ मुहूर्त – भगवान श्रीगणेश की पूजा करने का समय 21 अगस्त की मध्य रात्रि 11 बजकर 04 मिनट से ही शुरू हो गया है, लेकर दोपहर को 01 बजकर 42 मिनट तक है। पूजन का विशेष मुहूर्त सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
स्थापना विधि – भगवान श्रीगणेश की स्थापना करने से पहले सुबह स्नानादि नित्य कर्म से निवृत होकर साफ धुले हुए वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद अपने माथे पर तिलक लगाएं और आसन पर बैठ जाए। इसके बाद किसी लकड़ी के पटिये या चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। फिर लाल वस्त्र पर अक्षत छिड़कें और उस पर श्रीगणेश प्रतिमा की स्थापना करे। ध्यान रहे कि मूर्ति का मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। फिर प्रतिमा पर सिंदूर, केसर, हल्दी, चन्दन, मौली आदि चढ़ाएं। प्रतिमा की स्थापना करने के बाद रिद्धि-सिद्धि के प्रतीक के रूप में प्रतिमा के दोनों तरफ एक-एक सुपारी भी रखें। इसके बाद भगवान श्रीगणेश को धूप, फूल, फल और मोदक अर्पित करके उनकी पूजा करें।
गणेश चतुर्थी पर हमें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करना चाहिए। इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने से आप पर किसी प्रकार का कलंक लगता है। अगर गलती से चंद्रमा के दर्शन हो जाए तो सुबह किसी ब्राह्मणी को सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए।